नौशाद का वीडियो वायरल हुआ तब पता चला की वो रोटी में थूककर लोगों को खिला रहा था, ऐसे ना जाने कितने नौशाद शादियों में, रेस्टोरेंट में, होटल में कार्यरत हैं और नित्य प्रतिदिन इसी प्रकार की घृणित मानसिकता से भरी कारगुज़ारियां कर रहे हैं। कुछ दिन पहले फलों पर थूकते हुए व्यक्ति को पकड़ा गया था, आपको जानकार आश्चर्य होगा की फलों के व्यापर पर 70% से अधिक मुसलमानों का कब्ज़ा हो चुका है, सब्जियों की मंडियों में भी अब इसी समुदाय ने अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया है। बेकरी के काम पर तो अब पूरी तरह से मुसलमान ही हावी हो चुके हैं, ऐसे में एक नौशाद का पकड़ा जाना ऊंट के मुंह में जीरा है। मूल प्रश्न है की ये लोग ऐसा करते क्यों हैं, संविधान की दुहाई देते और विक्टिम कार्ड खेलते दिखाई देने वाले ये लोग असल में संविधान को मानते ही नहीं, ये शरीयत को ही अपना कानून मानते हैं, जी हाँ सही पढ़ा आपने “शरीयत”, इस सब के मूल में शरीयत ही है।

मदरसा छाप इन नौशाद जैसे सिरफिरों को जो तालीम दी जाती है उसमे लव जिहाद, ज़मीन जिहाद इत्यादि पैतरे धर्म के नाम पर घुट्टी की तरह पिला दिए जाते हैं। दीन खतरे में है, उसकी हिफाज़त के लिए अल्लाह ने तुम्हे काबिलियत बक्शी है, और मुसलामानों के अतिरिक्त सभी काफिर हैं अब या तो उन्हें क़त्ल करो या इस्लाम की दावत दो, कुरान में क्या लिखा है ये मौलवी को भी नहीं पता क्यूंकि वो अरबी में है और अरबी इनके बाप दादाओं ने भी कभी नहीं पढ़ी, अतः जो मुल्ला मौलवी ने बोल दिया वही अल्लाह का फरमान है, बिना ये सोचे की वो मुल्ला किस विक्षिप्त मानसिकता का है, “थूक कर खाना खिलाना शबाब का काम है” मुल्ला ने बता दिया और लगे तमाम नौशाद थूकने, खाने में, सब्ज़ियों पर, फलों पर, ब्रेड में, रस में हर उस चीज़ में जिसे काफिर खायेगा, ये इस्लाम की दावत माना जाएगा। अब आप संक्रमण से मर जाएँ तो क्या फर्क पड़ता है, आप काफिर ही हैं, नौशाद की जन्नत में सीट रिजर्व होनी चाहिए, बस।

अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा, आप इनका बहिष्कार नहीं करेंगे तो ये और तरीके इज़ाद करते रहेंगे, आप ही से पैसे कमा कर ये आपकी ही थाली में थूकते रहेंगे, आज नौशाद, कल रफ़ीक़, परसों शहज़ाद, सुनिश्चित करिये की जिसे आप काम दे रहे हैं, जहाँ आप खाने जा रहे हैं और जो आप खा रहे हैं उसे बनाने में कोई नौशाद न हो।

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