इतिहास का ये दौर देखकर , हर हिन्दू के आंखों में खून उतर आएगा व एक हिन्दू राजा के स्वाभिमान को देखकर सीना भी चौड़ा हो जाएगा…

सन 1672
ये बात उस दौर की है,जब औरंगजेब की क्रूरता चरम पर थी, हिंदुओ पर जजिया कर लग चुका था,भारत के ज्यादातर मन्दिर तोड़े जा रहे थे, और सबसे भयानक स्थिति थी,उत्तर प्रदेश की , मथुरा से लेकर वाराणसी तक औरँगजेब का कहर जारी था…

मथुरा के पास ,गोकुल में स्थिति भगवान श्री कृष्ण का एक मन्दिर था, उस मन्दिर में भगवान श्री कृष्ण की प्राचीन प्रतिमा थी, जिसे गोपाला जी कहा जाता था, किंयुकि कि इस प्रतिमा मे भगवान श्री कृष्ण बाल अवस्था मे थे, कहा जाता है कि ये प्रतिमा ,गोवर्धन पर्वत से निकली थी, ये मन्दिर वैष्णव धर्म के वल्लभ सम्प्रदाय का मुख्य केंद्र था.

उस दौर में जब मंदिरों को तोड़ा जा रहा था, तब मंदिर के पीठाधीश्वर (महंत) वल्लभ गोस्वामी जी ने प्रतिमा की रक्षा के लिए प्रतिमा को बैलगाड़ी में रखकर इस क्षेत्र से बाहर किसी सुरक्षित स्थान पर ले जाने का निर्णय लिया …
कई महीनों तक इस प्रतिमा को मथुरा के आस पास ही छुपाकर रखा गया, लेकिन अधिक दिनों तक ये सम्भव नही था.

फिर मथुरा से निकलकर महंत,इस मूर्ति कई दूसरी जगह सुरक्षा हेतु ले गये ,पर भारत मे कहीं भी इन महंतों को मदद ना मिली, हर किसी को औरंगजेब का भय था…

फिर महंत कुछ दिनों बाद ,मथुरा से दक्षिण की तरफ चले ,और काफी समय बाद , मथुरा से करीब 600 किमी दूर ,मेवाड़ क्षेत्र में जा पहुंचे , जहां उस समय महाराणा राज सिंह का राज था, जब महाराणा राज सिंह को इस बात का पता चला,बैसे ही महाराणा राज सिंह ने अपने सिपेसलारों के साथ, महंतों का मेवाड़ में स्वागत किया, ये ऐतिहासिक पेंटिंग उसी घटना को दर्शाती है….

स्वागत करने के बाद , मथुरा क्षेत्र की आप बीती सुनी . औरंगजेब की इन क्रूर हरकतों को सुनकर ,महाराणा राज सिंह का खून खौल उठा, इतिहास की नज़रों में देखा जाए तो औरंगजेब सबसे क्रूर मुगल शासक था,जिसकी सेना में लाखों जिहादी भरे पड़े थे..

महाराणा राज सिंह ये सब जानते हुए भी, अपने धर्म के प्रति निष्ठावान रहे ,और महंतों को कहा कि अब आप मेवाड़ में है, अब आपको तभी कुछ हो सकता है,जब मैं जिंदा ना रहूं, और फिर श्री नाथ जी की प्रतिमा को उदयपुर की तरफ ले जाया गया, उदयपुर से पहले एक जगह पड़ती है,जिसका नाम है,नाथद्वारा जो पहले सिर्फ मेवाड़ का एक साधारण स्थान जाना जाता था, उस स्थान पर पहुंचकर बैलगाड़ी का पहिया जमीन में धस जाता है, जिसे देखकर महंत कहते हैं,की राणा साहब भगवान की इच्छा अब इससे आगे जाने की नही है, तो फिर महाराणा राज सिंह ने उसी जगह पर प्रतिमा की पुनः स्थापना कर एक भव्य मन्दिर श्रीनाथ मन्दिर का निर्माण कराया ,और उस स्थान का नाम पड़ा नाथ द्वार… मतलब श्री नाथ भगवान का द्वार….. और उसकी सुरक्षा के लिए महाराणा राज सिंह ने महंतों को मेवाड़ की पूरी 1 लाख सैनिको के द्वारा की रक्षा करने का बचन दिया…और तबसे आज तक मन्दिर सुरक्षित खड़ा हुआ है….और आज ये मन्दिर विश्वभर के वैष्णव धर्म के वल्लभ सम्प्रदाय का प्रधानपीठ व मुख्य केंद्र है..

इस घटना के बाद , औरंगजेब की नज़र में महाराणा राज सिंह उसका सबसे बड़ा दुश्मन बन चुका था….और इसी का बदला लेने के लिए करीब 1680 में औरंगजेब ने कई सेनापतियों को मेवाड़ पर चढ़ाई करने को भेजा जिनका मुख्य उद्देश्य था,मेवाड़ में मंदिरों का सर्वनाश करना, जिसमे सबसे मुख्य मंदिर था,उदयपुर का जगदीश मन्दिर ,जिसको तुड़वाना औरंगजेब का सबसे बड़ा सपना था,किंयुकि ये उदयपुर नगर का मुख्य मंदिर था,व इसका सरक्षण उदयपुर राजघराने के पास था…

जनवरी 1680 में औरंगजेब ने पूरे मेवाड़ पर चढ़ाई का आदेश दिया, जिसमे कई बड़ी बड़ी टुकड़ियों को अलग अलग सेनापतियों के नेतृत्व में ,मेवाड़ पर चढ़ाई शुरू की गयी.

रूहिल्ला खान और यकाताज खान के नेतृत्व में जगदीश मंदिर को तोड़ने सेना भेजी थी। हमलावार पूरे मंदिर को तोडऩा चाहते थे, लेकिन वीरों की धरा के सैनिकों ने मुगलों की सेना को मुहं तोड़ जवाब देकर उनका प्रयास विफल कर दिया था। तब मंदिर और सनातन धर्म के सम्मान और उसकी रक्षा में 20 रणबाकुर सैनिक बलिदान हो गए थे। जिन्होंने अपने बलिदान से पहले करीब औरंगजेब के 300 सैनिको को मौत के घाट उतार दिया था,पर मुगल सैनिको को मन्दिर की सीढ़ियों से ऊपर नही जाने दिया…

मेवाड़ के अन्य भागों में आक्रमण करने पर भी औरंगजेब को पराजय का मुंह देखना पड़ा था। तब हसन अली खान के नेतृत्व में औरंगजेब की सेना ने मेवाड़ से भागते भागते मेवाड़ के बाहरी भागों पर आक्रमण कर लूटपाट की थी, जिसके अंत में 29 जनवरी 1680 को मेवाड़ से लूटी गई सामग्री 20 ऊंटों पर ले जाकर उसने औरंगजेब को प्रस्तुत की थी। उसने मेवाड़ के समीपवर्ती भागों में 172 अन्य छोटे मंदिरों को नष्ट करना भी बतलाया था..
जब औरंगजेब ने शिवाजी महाराज से जजिया कर देने को कहा था, तब शिवाजी महाराज ने औरंगजेब को पत्र लिखकर कहा था, की वर्तमान में भारत मे हिन्दुओ के सबसे बड़े राजा महाराजा राज सिंह जी है, अगर वो जजिया कर देंगे तो मैं भी दे दूंगा…..ऐसे महान राजा का इतिहास भारत नही जानता….

ऐसे हिन्दू राजा का जिक्र आज कोई नही करता, हमारे हिन्दू संगठन व हिन्दू मठाधीस रोज औरंगजेब के नाम लेकर हिन्दुओ को जगाते हैं, पर उनके मुंह से महाराज राज सिंह जैसे महान सनातनी का नाम नही निकलता…. यही तो दुर्भाग्य है भारत का….

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