तथ्य/कथन  1. कुछ दिन पूर्व संसद के विशेष अधिवेशन में नारी शक्ति वंदन अधिनियम पर चर्चा हो रही थी। चर्चा में भाग लेते हुए कई उदारवादी – वामपंथी विपक्षी नेत्रियों ने भी अपने विचार रखे। उनमे से कुछ ने इस अधिनियम के नाम में वन्दन शब्द का विशेष रूप से विरोध किया और कहा कि – हमें देवी नहीं बनना, हमारा वंदन मत कीजिए, हमें बराबरी का अधिकार चाहिए। वस्तुतः ये जो, “हमें देवी नहीं बनना” का गीत है इसका स्त्रियों के अधिकार से कोई विशेष लेना देना नहीं है इसका उपयोग मात्र सनातन धर्म  की परंपरा को और उसमें नारी शक्ति को देवी कहे जाने का उपहास करने के लिए किया जाता है। देवी यानि मूर्ति, यानि पत्थर, यानि जिसका अपना कुछ न हो जो दूसरों की पूजा पर आश्रित हो यानि जिसको बस एक जगह बैठा दिया जाए, इस प्रकार के अनेकानेक विश्लेषण उदारवादी वामपंथी महिला विमर्श में भरे पड़े हैं।

 

तथ्य/कथन 2. आतंकवादी संगठन हमास ने इजराइल पर हमला बोल दिया। क्रूरता पूर्वक अबोध बच्चों, बुजुर्गों, महिलाओं की हत्याएँ करीं। बड़ी संख्या में बलात्कार हुए और बलात्कार के लिए युवा लड़कियों  को बंधक बनाया गया। जिस दृश्य को देखकर प्रत्येक संवेदनशील मनुष्य का ह्रदय रो पड़ा उसमें आतंकवादी एक स्त्री के मृत शरीर को निर्वस्त्र करके उसका जुलूस निकाल रहे थे, मृत शरीर को जूतों से रौंद रहे थे और उस पर थूक रहे थे।

 

तथ्य/इतिहास कथन 3. श्री राम और लंकापति रावण की सेनाओं के मध्य संग्राम चल रहा था। मेघनाद द्वारा शक्ति से आहत हुए लक्षमण संजीवनी बूटी के उपचार से स्वस्थ होकर द्विगुणित उत्साह से पुनः युद्ध में आ चुके थे। इस बार प्रचंड युद्ध के बाद श्री लक्ष्मण के हाथों मेघनाद मारा गया। उसका शीर्ष धड़ से अलग हो गया। मेघनाद के वध से दुखी उसकी पत्नी सुलोचना ने रावण के पास जाकर विनती की कि मुझे मेरे पति का शीर्ष चाहिए, कृपया दूतों को भेजकर मंगवा दीजिये। रावण ने उत्तर दिया, “पुत्री इस कार्य के लिए तुम्हें स्वयं राम के शिविर में जाना चाहिए”। सुलोचना ने आश्चर्य से रावण को देखा और कहा, शत्रु के शिविर में? रावण ने पुनः उत्तर दिया, शत्रु तो है किन्तु मर्यादा पुरुषोत्तम है, निश्चिन्त होकर उनके शिविर में जाओ और मेघनाद का शीर्ष ले आओ। सुलोचना श्री राम के शिविर में जाती है जहाँ  पूरे आदर के साथ उसको मेघनाद का शीर्ष दे दिया जाता है।

 

स्त्री को देवी कहे जाने का विरोध करने वाला “हमें देवी नहीं बनना” गैंग श्री राम को पितृ सत्तात्मक सत्ता का प्रतीक बताते हुए उनको दिन रात पानी पी पी कर कोसता है। विजयादशमी निकट आते ही रावण की खूबियाँ गिनाने निकल पड़ता है जिससे श्रीराम की अगाध भक्ति करने वाले समाज के मन में उनके प्रति संदेह उपजे, किशोर वय के बच्चे भ्रमित हों किन्तु वो ये भूल जाता है कि स्त्री को देवी का स्थान देने वाले समाज के नायक श्री राम के शिविर में शत्रु परिवार की स्त्री भी देवी के समान पूज्य है। त्रेता युग के श्री राम ने ही नहीं कलियुग के छत्रपति शिवाजी राजे जैसे सनातनी राजाओं ने, स्त्री को देवी माँ स्वरुप मानने की परंपरा का पालन करते हुए स्त्री गरिमा की रक्षा के अनुपम और असंख्य उदाहरण प्रस्तुत किये हैं।

 

क्या “हमें देवी नहीं बनना” गैंग हमास द्वारा मृत स्त्री देह के अपमान को देखने के बाद ये बात समझ पाएगा कि स्त्री को देवी कहना, उसका सम्मान सुनिश्चित करने के लिए निर्मित एक उत्कृष्ट मानसिक और व्यावहारिक  अवधारणा है न कि उसको पाषाण या स्थिर करने या अधिकारविहीन बनाने की कोई चाल।

 

“हमें देवी नहीं बनना” गैंग जौहर को भी पितृ सत्तात्मक सनातन विचार परंपरा का परिणाम बताता है और दुष्प्रचार करता है कि (जौहर और सती में अंतर किए बिना) राजपूत स्त्रियाँ पति के युद्ध में मरने पर आग में जल जाती थीं, उनके अपने जीवन का कोई मोल नहीं था।

 

क्या “हमें देवी नहीं बनना” गैंग हमास के मृत स्त्री शरीर का जुलूस निकालने के वीडियो को देखने के बाद यह समझ पाएगा कि मुग़ल आक्रमण काल में हिन्दू स्त्रियाँ शस्त्र चलाने और युद्ध कला में प्रवीण होने के बाद भी युद्ध करने के स्थान पर जौहर (अग्नि स्नान ) करने का चुनाव करती थीं क्योंकि युद्ध में बंदी बनाए जाने या  मारे जाने दोनों ही स्थितियों में स्त्री शरीर निकृष्टतम दुष्कर्म को प्राप्त होता था।

 

जौहर हिन्दू स्त्रियों के द्वारा अपने जीवित और मृत शरीर को उन आतताइयों से  सुरक्षित रखने के लिए अपनाया गया एक तात्कालिक समाधान था जो स्त्री को देवी नहीं वरन मात्र भोग की एक वास्तु मानते थे । तथापि कालांतर में अनेक रानियों ने जौहर के स्थान पर युद्ध का चुनाव भी किया।

 

ये प्रश्न तो व्यर्थ ही है कि “हमें देवी नहीं बनना” गैंग ने हमास के वीडियो पर मुँह में दही क्यों जमा लिया है ?

 

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