‘हलाल’ अर्थव्यवस्था के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था तथा सुरक्षा संकट में ! – ‘Akhil Bharatiya Hindu Rashtra Adhiveshan’
कर्नाटक राज्य में ‘हलाल’ की अनिवार्यता के विरोध में हिन्दू समाज सडक पर उतरा है । ‘हलाल’ नामक इस्लामिक संकल्पना ‘सेक्युलर’ कहलानेवाले भारत के बहुसंख्यक 78 प्रतिशत हिन्दुओं पर थोपी जा रही है । भारत सरकार का ‘अन्न सुरक्षा और मानक प्राधीकरण’ (FSSAI) तथा ‘अन्न एवं औषधि प्रशासन’ (FDA) विभाग होते हुए ‘जमीयत उलेमा–ए–हिन्द हलाल ट्रस्ट’ जैसी निजि मुसलमान संस्थाएं भारतीय उत्पादकों से हजारों रुपए लेकर ‘हलाल प्रमाणपत्र’ दे रही हैं । मूल मांस के लिए लागू हलाल प्रमाणपत्र अब खाद्यपदार्थ, सौंदर्यप्रसाधन, आयुर्वेदिक औषधियां, चिकित्सालयों सहित ‘मैकडोनल्ड’, ‘के.एफ.सी.’ आदि बहुराष्ट्रीय प्रतिष्ठानों ने लिया है । उनकी भारत में स्थित सर्व दुकानें 100 प्रतिशत ‘हलाल’ प्रमाणित होने की घोषणा की गई है । ‘मैकडोनल्ड’ में जानेवाले बहुसंख्यक हिन्दुओं को इस्लामी मान्यता के अनुसार ‘हलाल’ पदार्थ ही खिलाना हिन्दुओं के संविधान द्वारा दी गई स्वतंत्रता का अनादर है । इस प्रकार धार्मिकता के आधार पर चलाई जानेवाली ‘इस्लामी अर्थव्यवस्था’ भारत में खडी की जा रही है । जानकारी मिली है कि, जागतिक स्तर पर ‘हलाल अर्थव्यवस्था’ के माध्यम से एकत्रित होनेवाले धन का उपयोग आतंकवाद के लिए किया जाता है । भारत में भी ‘जमीयत उलेमा–ए–हिन्द’ देशभर में विविध बमविस्फोट में सम्मिलित लगभग 700 मुसलमान आरोपियों को कानूनी सहायता कर रही है । हलाल अर्थव्यवस्था के कारण केवल भारतीय अर्थव्यवस्था को ही नहीं, अपितु सुरक्षा व्यवस्था के लिए भी बडा संकट उत्पन्न हो गया है । इस संदर्भ में केंद्र सरकार ने तत्काल कृति करना अपेक्षित है, ऐसा प्रतिपादन ‘हलाल जिहाद ?’ ग्रंथ के लेखक तथा हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश शिंदे ने किया । वे अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में ‘जिहादी आतंकवाद का प्रतिकार’ इस सत्र में ‘हलाल सर्टिफिकेशन या आर्थिक जिहाद ?’ इस विषय पर बोल रहे थे । अधिकाधिक लोगों को ‘हलाल जिहाद’ की जानकारी मिलने के उद्देश्य से ‘हिन्दी’ और ‘मराठी’ भाषा का यह ग्रंथ प्रत्येक हिन्दू तक पहुंचाने का आवाहन भी श्री. शिंदे ने इस अवसर पर किया । इस सत्र में ‘यूथ फॉर पनून कश्मीर’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री. राहुल कौल, ‘हिन्दू मक्कल कत्छी’ के अध्यक्ष श्री. अर्जुन संपथ तथा कर्नाटक के सिनेमा वितरक तथा उद्योगपति श्री. प्रशांत संबरगी ने भी मार्गदर्शन किया ।
18 से 24 वर्ष आयुवर्ग के युवक यह भूल जाएं कि वे हिन्दू हैं, इसके लिए उनपर पश्चिमी, मुसलमान विचारधारा का प्रभाव कैसे बढेगा, ऐसा प्रयास ‘बॉलीवुड’ के सिनेमा के माध्यम से किया जा रहा है । वर्ष 2019 में गुजरात में 250 पिक्चरों का एक सर्वेक्षण किया गया था । इसके अनुसार मुसलमानों के श्रद्धास्थान शक्तिशाली हैं, मुसलमान मानवतावादी हैं तथा इसके विपरीत ब्राह्मण भ्रष्टाचारी एवं बुरे हैं, ऐसा दिखाया गया है । ‘बॉलीवुड’ में प्रतिवर्ष लगभग 3 हजार गाने प्रसारित होते हैं । उनमें से 30 प्रतिशत गानों में ‘अल्लाह’ का गुणगान किया हुआ दिखाई देता है । इसके विपरीत केवल 4 प्रतिशत गानों में हिन्दुओं के देवताओं की स्तुति होती है । इसके पीछे ‘दुबई फंडिंग’ और ‘कराची डिस्ट्रिब्यूशन’ यह सूत्र है । कुख्यात अपराधियों का काला धन ‘बॉलीवुड’ सिनेमा की निर्मिति के लिए लगाया जाता है । उसमें से ‘लव जिहाद’ को प्रोत्साहित किया जाता है । अफगानिस्तान और पाकिस्तान से मादक (नशीले) पदार्थ पंजाब के मार्ग से भारतभर में वितरित किए जाते हैं । कुल मिलाकर भारत और हिन्दू धर्म पर आघात करने के लिए ‘बॉलीवुड जिहाद’ का षड्यंत्र है, ऐसा प्रतिपादन कर्नाटक के सिनेमा वितरक तथा उद्योगपति श्री. प्रशांत संबरगी ने किया । वे ‘बॉलिवुड का ड्रग्ज जिहाद’ विषय पर बोल रहे थे । इस अधिवेशन का सीधा प्रसारण यू–ट्यूप चैनल ‘HinduJagruti’ द्वारा भी किया जा रहा है ।
DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.