6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में कारसेवकों द्वारा बाबरी मस्जिद का ढाँचा गिराया गया था। उससे पहले लाल कृष्ण आडवाणी द्वारा रथ यात्रा निकाली गई थी. कारसेवकों को रोकने के लिए उस समय की उत्तरप्रदेश में सपा सरकार ने बहुत कोशिश की थी. यहाँ तक कारसेवकों पर गोलियां चलाकर कई कारसेवकों की जान भी ले ली गई थी. लेकिन कारसेवक न कभी रुके और न ही पीछे मुड़कर देखे। यही कारण है कि 5 अगस्त को मंदिर निर्माण शुरू होने जा रहा है. कारसेवकों का कहना था कि मंदिर को तोड़कर अयोध्या में राम जन्मभूमि पर बाबरी मस्जिद बनाई गई थी। जिसके बाद मामला कोर्ट में चला गया। तकरीबन 27 साल मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चला। अब मंदिर निर्माण का रास्ता साफ़ है और भूमि पूजन का भी.
गत वर्ष नवंबर में कोर्ट का फैसला राम मंदिर निर्माण के लिए आया। लेकिन यह केवल 27 साल की प्रतीक्षा नहीं बल्कि सैकड़ों साल की तपस्या थी। यह बुराई पर अच्छा की जीत एवं अन्याय के खिलाफ न्याय की लड़ाई थी। जिसका न्याय कई वर्षो से कई हिंदूओं को खोने के बाद मिला। अब हिंदू मंदिर निर्माण के लिए 5 अगस्त को भूमि पूजन का विहंगम दृश्य देखेगा।
PIL गैंग का आख़िरी दांव भी फेल
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एवं ट्रस्ट के द्वारा भूमि पूजन की तारीख आने के बाद PIL गैंग सक्रिय हो गई थी। लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट में राम मंदिर भूमि पूजन पर रोक लगाने के लिए दायर याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया और तय समय पर ही मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन होगा।
DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.