आपकी नजर में अगर ये किसान है तो आप लोकतंत्र के भक्षक है, राष्ट्र के गद्दार है
विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश हिंदुस्तान के अंदर संवैधानिक संरचना इस प्रकार की की गई है कि किसी भी प्रकार के निर्णय का विरोध करना या असहमति जताना अपने आप में एक लोकतांत्रिक अधिकार हिंदुस्तान के प्रत्येक नागरिक को है आजादी के 75 वर्षों बाद भी किसी भी कानून के आने या किसी भी कानून के हटाने को लेकर किसी भी दल, समूह, संगठन या व्यक्ति की अपनी आगेवानी रही है तो समय-समय पर उसका विरोध हुआ है समय समय पुरुष का धरना प्रदर्शन हुआ है और समय-समय पर आंदोलन का रूप लेकर सरकारों के बीच में आम सहमति बनाने का प्रयास किया गया है फिर भले ही वह भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन हो या स्वदेशी बचाओ के पक्ष में भाई राजीव दीक्षित का आंदोलन हो हर आंदोलन में हिंदुस्तान के तमाम नागरिकों के समय देना बटोरी है उनका एक मुख्य समर्थन बटोर कर एक अलग प्रकार की क्रांति को विकसित करने का प्रयास गत वर्षो में तमाम आंदोलनों ने किया है
परंतु इन सब के बावजूद पिछले 3 महीने से किसानों के नाम पर हिंदुस्तान के केवल और केवल पंजाब और हरियाणा राज्य में जिस प्रकार से किसानों और मंडी के बिचौलिए दलाल किस्म के नेताओं और लोगों द्वारा किसान जिसे हिंदुस्तान की रीड की हड्डी माना गया है उनको मुख्य अतिथि आर बनाकर हिंदुस्तान के अंदर अशांति फैलाने का असफल प्रयास पिछले 3 महीने से किया जा रहा है किसानों के नाम पर सबसे पहले राज्यों के बॉर्डर पर आने जाने वाली गाड़ियों को रोका गया फिर आगजनी की गई और फिर इन सबसे परे हटकर जो देशद्रोही गद्दारी किसम का काम किया गया वह काम था खाली स्थानों को इस आंदोलन का हिस्सा बनाना खालिस्तानी वह दूसरे दर्जे के आतंकवादी हैं जिन्होंने हिंदुस्तान में खाली स्थान के नाम पर आतंक को फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है सीधे-सीधे हिंदुस्तान की सत्ता पर बैठे लोगों को जान से मारने की धमकी देने वाली है खालिस्तानी प्रथम दर्जे के मुस्लिम आतंकवादियों के बाद दूसरे दर्जे के आंतकवादी हैं जिन्होंने देश को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी पंजाब हरियाणा के सरदारों को विकास के नाम पर किसानों के नाम पर और अपने हक और अधिकारों के नाम पर केंद्र सरकार के खिलाफ खड़ा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी खाली स्थानों की जो फंडिंग थी वह अरब देशों से और कनाडा से सीधे-सीधे हो रही थी जिसका सीधा सीधा सबूत कनाडा के प्रधानमंत्री का किसान बिल के विरोध के प्रति अपनी प्रतिक्रिया देना है
खालिस्तानी लोगों के विरोध के बाद किसान आंदोलन का दूसरा चेहरा सामने आया और वह चेहरा था जिसमें किसान संगठन के मुखिया ओं के रूप में जब प्रधानमंत्री जी और संबंधित मंत्रियों से जब मीटिंग में का दौर चला तो उस दौर में ना जाने क्यों किसानों के हक और अधिकार का मुद्दा जो है वह गौण होता दिखाई दिया और जो नया मुद्दा सामने आया वह यह आया की सरजील इमाम, उमर खालिद, गौतम नवलखा जैसे दर्जनों आंतकवादी गतिविधियों में शामिल लोग जिनको आंतकवादी गिरोह का सरगना या मास्टरमाइंड ही कहा जा सकता है ऐसे लोगों की रिहाई के लिए सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास किसान आंदोलन के नाम पर तथाकथित वामपंथियों द्वारा किया जाना लगा अब सवाल यह उठता है कि वाकई में यह किसान आंदोलन है या आंतकवादी बचाओ आंदोलन है या आंतकवादीओं को रिहा करो आंदोलन है ?
अब आज जब आंदोलन एक ऐसे पड़ाव पर पहुंच गया है जब किसानों के नाम से आंदोलन करने वाले लोग खुलेआम बिरयानी खा रहे हैं उनके पांव को मसाज करने के लिए मसाज करने वाली इलेक्ट्रॉनिक मशीनें लगवा दी गई है काजू पिस्ता और बादाम आंदोलन में बांट रहे हैं तो यह तो स्वभाविक है कि यह कहीं अब आंदोलन जैसा तो नहीं रह गया है यह 1 तरीके से रफी साहब किताब से देश में अशांति फैलाने के लिए रहीस किस्म का षड्यंत्र देश में विद्यमान वामपंथी विचारधारा देश विरोधी विचारधारा के द्वारा स्पॉन्सर्ड एक षड्यंत्र लग रहा है क्योंकि एक बात और सामने निकल कर आई है किस आंदोलन के बहाने ही सही लेकिन तमाम लोग जो वर्तमान केंद्र सरकार के खिलाफ थे वह सब आज आंदोलन के पक्ष में खड़े दिखाई दे रहे हैं हर छोटे से छोटा छूट भैया नेता किसान आंदोलन के नाम पर किसानों के नाम पर केंद्र सरकार को घेरने में लगा हुआ है ऐसे लग रहा है जैसे कोई पीछे न छूट जाए
यह नए नवेले आंदोलनकारी इस बात को भूल रहे हैं कि आंदोलन अपने आप में एक क्रांति होता है और उस आंदोलन के माध्यम से शांतिपूर्ण तरीके से देश में एक माहौल तैयार किया जाता है और देश की आम जनता उस आंदोलन से जुड़ती है और जब आम जनता आंदोलन से जुड़ती है तब सत्ता में बैठी सरकारों को इस बात का एहसास होता है कि कहीं ना कहीं उसके द्वारा लिए गए निर्णय के ऊपर पुनर्विचार की जरूरत है परंतु इस किसान आंदोलन में बिल्कुल अलग है यह किसान आंदोलन पूरे भारत में किसी भी संगठन किसी भी किसान या किसी भी आम नागरिक से किसान आंदोलन का हिस्सा बनने की अपील नहीं कर रहा है कहीं ना कहीं ऐसा लग रहा है कि एक ग्रुप ऐसा जो किसान आंदोलन के नाम पर किसान संगठन के मुखिया ओं के नाम पर सरकार को ब्लैकमेल करने का प्रयास कर रहा है और उस ब्लैकमेल के अंदर उनकी प्रमुख मांगे इस तरह की है कि यह जो आंतकवादी के रूप में जो गतिविधियों में जो लिप्त पाए गए लोग हैं जिनको जेलों में डाल रखे हैं उनको रिहा किया जाए धारा 370 को वापस लागू किया जाए पाकिस्तान के ऊपर किसी भी प्रकार का दवाब ना बनाया जाए इस तरह की मांगे और खाली स्थानों के ऊपर नरमा ही बढ़ती जाए अब आप सोचिए कि इस तरह की मांगे किसान की तो नहीं हो सकती देश का किसान इस तरह की बात कभी नहीं कर सकता किसान को क्या मतलब है पाकिस्तान से किसान को क्या मतलब है धारा 370 से और किसान को क्या मतलब है खाली स्थानों से और किसान को क्या मतलब है देश में आंतकवादी गतिविधियों में पाए गए लोगों की रिहाई से यह कहीं ना कहीं एक षड्यंत्र है और यंत्र के माध्यम से देश में अशांति फैला कर केंद्र सरकार को मजबूर करने का ब्लैकमेल करने का प्रयास ऐसे असामाजिक तत्वों द्वारा किया जा रहा है जिसके प्रति आप और हम को सचेत होना पड़ेगा
मैंने मेरे जीवन काल में खूब सारे आंदोलन देखें और मैंने देखा कि वाकई में आंदोलन में भूखे प्यासे और खुले आसमान के नीचे लोग सोते हैं और प्रशासन के द्वारा जमीन के ऊपर किसी प्रकार की जबरदस्ती की जाती है तो डंडे भी पढ़ते हैं पुलिस की मार भी पड़ती है पहला एक ऐसा रहीसी आंदोलन देख रहा हूं जिसमें आंदोलन करता को बिरयानी खाने के रूप में मिल रही है मुखवास के रूप में उसको बादाम काजू पिस्ता मिल रहा है शाम को मसाज के लिए इलेक्ट्रॉनिक मशीन फिट की गई है रहने के लिए लग्जरियस व्यवस्था राजनीतिक दलों द्वारा करवाई जा रही है और बदले में इनकी जो मांग है ऊपर मुख्य मांग में जो मैंने ऊपर बताइए वह प्रमुख मांगे हैं और फिर उनकी अन्य मांग जो है वह यह है कि किसान बिल वापस लिया जाए तो कहीं ना कि यह सब समझ में आ रहा है कि किसान बिल तो भेज एक बहाना है असल किसानों के नाम से लोगों को मुद्दे से भटका कर देश को किसी भी तरीके से अस्थिर किया जाए ऐसा प्रयास कुछ राजनीतिक दल और कुछ वामपंथी और नकारात्मक विचारधारा के लोग और कुछ गतिविधियां जो आंतकवादी है देश विरोधी है उस में लिप्त पाए गए लोग मिलकर कर रहे हैं
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