आज का दिन भारतवासियों के लिए बहुत ही खास है क्योंकि 77 वर्ष पूर्व इसी दिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अखंड भारत की स्वतंत्र भूमि पर पोर्ट ब्लेयर में आजादी का झंडा फहराया था।  30 दिसंबर, 1943 को नेताजी ने पहली बार स्वतंत्र भारतीय जमीन पर सबसे पहले तिरंगा फहराया था। यह झंडा आजाद हिंद फौज का था। 

आजाद हिंद फौज की स्थापना 1942 में जापान में रासबिहारी बोस ने की थी। इस फौज में उन भारतीय सैनिकों को शामिल किया गया था जो जापान में बंदी बना लिये गये थे। बाद में इस सेना में बर्मा और मलाया में स्थित भारतीय स्वयंसेवक भी भर्ती किये गये थे।   

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नेताजी चाहते थे कि भारत ब्रिटेन की ओर से ना लड़े, इसके लिए उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ जमकर विरोध किया था। अंग्रेजों को उनकी बात पसंद नहीं आई और इसके लिए उन्हें अंग्रेज़ों ने जेल में डाल दिया। जेल में रहकर नेताजी ने भूख हड़ताल कर दी, जिसके बाद अंग्रेजों ने उन्हें उनके ही घर में नजरबंद कर दिया। जहाँ से वे अंग्रेजों को चकमा दे अफगानिस्तान चले गए और फ़िर वहाँ से जर्मनी। जहाँ हिटलर से सहयोग ले उन्होने जापान से संपर्क साधा। 

नेताजी सुभाष चंद्र बोस का मानना था कि जापान की मदद से भारत से ब्रिटिश हुकूमत का खात्मा किया जा सकता है। इसलिए वे द्वितीय विश्व युद्ध में जापानी सेना का सहयोग कर रहे थे और जापान भी आजादी की लड़ाई में नेताजी का समर्थन कर रहा था। जापान ने लड़ाई में अंग्रेजों से जीतकर अंडमान-निकोबार द्वीप समूह पर कब्जा कर लिया था।   

21 अक्टूबर, 1943 को नेताजी ने आजाद हिंद सरकार बना ली। अपनी इस सरकार के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री तथा सेनाध्यक्ष तीनों का पद नेताजी ने अकेले संभाला। इसके साथ ही अन्य जिम्मेदारियां जैसे वित्त विभाग एस.सी चटर्जी को, प्रचार विभाग एस.ए. अय्यर को तथा महिला संगठन लक्ष्मी स्वामीनाथन को सौंपा गया। उनके इस सरकार को जर्मनी, जापान, फिलीपीन्स, कोरिया, चीन, इटली, मान्चुको और आयरलैंड ने मान्यता दे दी।  

चूंकि जापानियों के साथ नेताजी के संबंध बहुत खास थे। जापान ने अंडमान व निकोबार द्वीप इस अस्थायी सरकार को दे दिये।  

 नेताजी उन द्वीपों में गये और उनका नया नामकरण किया। अंडमान का नया नाम शहीद द्वीप तथा निकोबार का स्वराज्य द्वीप रखा गया। 30 दिसम्बर 1943 को इन द्वीपों पर स्वतन्त्र भारत का ध्वज भी फहरा दिया गया। अब इस सरकार के पास अपनी जमीन भी थी।   

 आजाद हिन्द सरकार केवल नाम नहीं था बल्कि नेताजी के नेतृत्व में इस सरकार ने हर क्षेत्र में नई योजना बनाई थी। इस सरकार का अपना ध्वज था, अपना बैंक था, अपनी मुद्रा थी, अपना डाक टिकट था, अपनी गुप्तचर सेवा थी। नेताजी ने कम संसाधन में ऐसे शासक के विरुद्ध लोगों को एकजुट किया जिसका ‘सूरज नहीं ढलता था’। इसी के साथ साथ नेताजी ने भारतियों से किया अपना वादा भी पूरा किया था कि वर्ष 1943 के अंत तक आज़ाद हिन्द फौज भारत कि धरती पर अपना झण्डा फहरा देगी |  

आज के इस ऐतिहासिक दिन हम सब नेताजी सुभाष चन्द्र बोस और आज़ाद हिन्द फौज के सभी सेनानियों को सादर नमन करते हैं ।

जय हिन्द !!

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