मिया खलीफा अब मोदी से नाराज परेशान लोगो की नेता हैं। मिया खलीफा ही रोल मॉडल हैं। शाहीन बाग में मिया खलीफा ही हमें बचाएंगी , वो ही सुरैया तारा है, ऐसी बातें हो रही हैं।
मिया खलीफा की ट्वीटर टाइमलाइन देखकर शाहीन बाग की नुसरत ने अपने अब्बा से पूछा , अब्बू डिक, कॉक और पूसी क्या होता हैं?
शाहीन बाग में कल से हलचल है। बेटियां अपने अब्बुओं और अम्मियों से सवाल कर रही हैं।
रिहाना और मिया खलीफा को आज़ादी का प्रतीक बनाकर दिखाने के बाद अब शाहीन बाग की लड़कियां उनकी ट्विटर टाइम लाइन देख रही हैं।
और बस वही से सवाल पूछ रही हैं।
बंद कमरों में खुद को निर्वस्त्र करके अलग अलग स्टाइल से फ़ोटो खींच कर एक दूसरे से शेयर कर रहीं हैं।
देश का तो पता नहीं लेकिन शाहीन बाग में क्रांति आ चुकी हैं।
सेक्स, कामुकता, नंगई, हवस अब हवा में हैं। इन्ही को आज़ादी का प्रतीक मान लिया गया हैं।
आज़ादी के मायने बदल चुके है और अलग अलग पोजिशन में अलग अलग मर्दो के साथ “सत्य के प्रयोग” ये ही क्रांति का सूत्र हैं
हाँ जन्नत जैसे जमीन पर उतर आई हैं। किताबी बातें अब सच लगने लगी हैं। अब्बूजान भी “फक बीचेस, गेट मनी” की धुन पर झूम रहे हैं।
शाहीन बाग की नई “शेरनियां” नए नए शब्दों को देख, सुन, समझ व आत्मसात कर रही हैं। जॉनी सिंस अब उनकी बुआ का बेटा हैं जिसके साथ पोल डांस उनकी “अभिव्यक्ति की आज़ादी” का अधिकार बन चुका हैं।
जाती हुई ठंड गाजीपुर में बैठे किसानों के लिए खुशियां लेकर आई हैं। ट्रैक्टर और कार सब हिल रहे हैं।
चौधरी साहब ने गांव में फोन कर दिया हैं। कोई बहु बेटी आंदोलन की खबर ना देखे, इंटरनेट बंद कर दिया जाये , जरूरत पड़े तो बिजली भी काट दें। आखिर सवाल इज्जत का जो हैं।
(ये एक साहित्यिक व्यंग लेख हैं )
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