इससे पहले कि कुछ लिखूँ बात को इस तरह से देखिए , एक हिन्दू परिवार अब एक लघु परिवार होता है -माँ बाप और एक दो संतान वाला . उस परिवार में से एक उस बच्चे को ही खत्म कर देना , काट देना , जला देना वीभत्सता की सारी हदों को पार करके नोंच खसोट कर मार देना पूरे परिवारों को गिद्धों की तरह चाट जाने के समान है .
अब ये सिर्फ एक नाम भर रयह जाता है , “किसी भी हिन्दू की हत्या इस दश में अब सिर्फ एक खबर भर है और कई बार तो वो भी नहीं . अच्छा ! किया क्या था इस रिंकू ने ऐसा कि जेहादियों का पूरा कबीला ही अपनी वहशत पर उत्तर आया .
कोरोना के समय अपना खून देकर जान बचाई थी , ओह ! इससे बड़ा अपराध तो हो ही नहीं सकता . जो कत्ल करना जानते हैं , मारना काटना छुरा घोपना ही एकमात्र कर्म है उन्हें अपने रक्त देकर किसी इंसान के प्राण बचाने से क्या सरोकार ? असल में कभी रहा भी नहीं है . असुर जाति तो देवताओं की समय से ही यही करती चली आ रही है .
उस युवा तरुण का एक दूसरा दोष ,अपराध था -राम के देश में जय श्री राम का जय घोष करना . अपने आराध्य राजा राम के मंदिर निर्माण हेतु समपर्ण राशि एकत्र कर रहा था . बताइए -भारत तेरे टुकड़े होंगे , हिन्दू तेरी कब्र खुदेगी , देश दुनिया को जलाने वाले तक ज़िंदा रह सकते हैं .हमारे राम को गाली देने के लिए आंदोलन चला सकते हैं -मगर मजाल है जो कोई जय श्री राम बोले .
और रिंकू शर्मा की पीठ में छुरा भोंका गया है वो इस समाज की देह में उसकी आत्मा में भोंका गया है . उस खंजर पर बंगाल की अतिव्यगर स्वभावी और क्रोध , कुँवचनों की पर्याय बन चुकी राजनेत्री की सोच , बात बात पर खतरे में है , डरे हुए हैं , चीख चीख जाहिलों की पूरी जमात को कट्टर जेहादी बना रहे हैं .
जब उपराष्ट्रपति तक बन कर हटा व्यक्ति भी कहता है कि हाँ -डर लगता है , दिन रात यहाँ सुपरस्टार बनकर इतराता पैसे कमाता कहता है कि डर लगता है तो फिर ये सब उसी डर को दूसरों के कत्लेआम से दूसरों को डरा कर कम करने का काम हो रहा है .
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