इस देश की जितनी आस्तीन हैं सभी में सांप हैं। चप्पे चप्पे पर सांप गद्दारों की गोबर सोच के कारण भारत देश को नुकसान उठाना पड़ा है। यहां कभी आतंकी को हेडमास्टर का बेटा बताने वाले पैदा हो जाते हैं तो कभी नक्सलियों को भोले आदिवासी..। बीते कुछ दिनों से ऐसा ही तथाकथित किसान आंदोलन के नाम पर चल रहा है। इस आंदोलन में जिस तरह से भिंडरावाला की इमेज को लेकर कट्टरतावादी ताकतें अपने नापाक मंसूबों को अमलीजामा पहना रही हैं तो इंदिरा गांधी का हत्यारा केहर सिंह खालिस्तान समर्थक मनिंदर सिंह सिरसा की नजर में शहीद है।
सोशल मीडिया पर अपने पोस्ट में मनिंदर सिंह सिरसा ने इंदिरा गांधी की हत्या में फांसी की सजा पाए केहर सिंह के बेटे चरणजीत सिंह को DSGMC चुनाव में उम्मीदवार बनाया है और उसके परिचय में लिखा है कि केहर सिंह शहीद थे। एक प्रधानमंत्री की हत्या की सजा में फांसी पाए शख्स को शहीद बताना आखिर कहां तक सही है? यह कौन लोग हैं जो भारत की आस्तीन में रहकर ही भारत देश की संप्रभुता को डसने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं ?
बड़ा सवाल उठता है कि भारत की सरकार और भारत की आवाम इतनी जागरूक कब होंगे कि प्रधानमंत्री की हत्या में शामिल रहे शख्स को सरेआम शहीद बताया जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ बीबीसी जैसी संस्थाएं सुकमा हमले में शहीद हुए जवानों की शहादत को ‘मौत’ लिखकर उनका अपमान करती हैं। जाति, पैसा , चुनाव में मशगूल इस देश की सत्ता और जनता आपस में ही लड़ती रहती है और आस्तीन के सांप तो खुलेआम आतंकियों के साथ खड़े हैं।
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