कोई व्यक्ति देश और मोदी विरोध में इतना अंधा कैसे हो सकता है कि अपने साथियों के साथ मिलकर पूरी दुनिया के सामने , लोगों के सामने , टीवी रेडियो , अदालत तक के सामने रो रो और पानी पी पी कर केंद्र सरकार को कोसता है। जो ऑक्सीजन , जो अस्पताल , जो दवाइयाँ पूरे देश को मिल रही हैं , दी जा रही हैं वो सब कुछ – सभी कुछ ही सिर्फ और सिर्फ दिल्ली को नहीं मिल रही है और उसके अभाव में लोगबाग मारे जा रहे हैं। और फिर सच सामने आता है कि ये सब जानबूझ कर किया जा रहा है।
इस राजनैतिक दल से जुड़े हुए तमाम , नेता से लेकर उद्योगपति तक अपने घरों , होटलों , दफ्तरों में न सिर्फ ऑक्सीजन सिलेंडर का अनुचित भंडारण करते हैं बल्कि ऐसे समय में भी ज़िंदगी और मौत का सौदा करके पैसे बनाने में लगे हैं। घिन्न आती है ऐसी सोच और ऐसी मानसिकता पर। लोगबाग तिल तिल कर तड़पने कर मरने के लिए विवश किये जा रहे हैं। इसकी कमी जानबूझ कर पैदा की जा रही है ??
और ये सब किसलिए -सिर्फ इसलिए की केंद्र सरकार को बदनाम किया जा सके , उस केंद्र सरकार को जिसने कोरोना के पहले प्रवाह से लेकर अब इस दूसरी लहर तक , खुद और सेना , अन्य सुरक्षा दलों के साथ मिल कर हमेशा ही दिल्ली को इस संकट से उबारा है।
जिस सरकार को छ माह पूर्व ही , इस त्रासदी के लिए संभावित तैयारी करने हेतु ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए पैसा और मंजूरी मिल गई थी वो सरकार , पूरे 250 करोड़ रूपए अपने उल जलूल विज्ञापनों पर फूँकती रही , देश और दुनिया को ये बताती रही कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी द्वारा स्थापित और संचालित मुहल्ला क्लीनिकों ने तो राजधानी की स्वास्थ्य व्यवस्था में एक चमत्कारिक परिवर्तन ला दिया है। वो सरकार समय पड़ने पर ये कह कर हाथ खड़े कर देती है कि न ऑक्सीजन प्लांट है , न ही उन्हें आयात करने के लिए वाहन , और तो और उपलब्ध कराए गए ऑक्सीजन के भंडारण के लिए भी सरकार के पास कोई स्थान नहीं है।
अदालतें जो इन दिनों लगातार अपने अलग अलग निर्णयों और रुख से बार बार सब कुछ सुलझाने की बजाय उलटा अपने दंडात्मक रवैये से सब कुछ उलझाए बैठी है। किसान आंदोलन पर कुछ और रुख तो , चुनावों पर कुछ और , ऑक्सीजन उपलब्धता पर कुछ और निर्णय तो टीकाकरण पर कुछ और।
आज कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने स्पष्ट शब्दों में दिल्ली के मुख्यमंत्री को पिछले दिनों कोरोना के कारण अस्पतालों में उत्पन्न अव्यवस्था कर ऑक्सीजन की कमी से मारे गए सभी लोगों की ह्त्या का जिम्मेदार ठहराते हुए केजरीवाल पर मुकदमा चला कर गिरफ्तार करने की माँग रखी है और यही बात आज एक आम दिल्ली वासी के मन में भी है।
केजरीवाल में किसी तरह की नैतिकता और ग्लानि गलती के बोध की अपेक्षा रखना बेमानी है किन्तु , ऐसे समय में लोगों की जान के साथ खिलवाड़ करने वाले आम आदमी पार्टी के नेता और व्यापारी साथियों के साथ कैसा व्यवहार किया जाना चाहिए ये बताने पूछने की जरूरत नहीं है।
कुछ न हो सके तो इन्हें उन तमाम लोगों के हवाले कर दें जिनके परिजनों ने पिछले दिनों इनके अपराध के कारण अपनी जान से हाथ धो लिए।अपनी खो चुकी अंतरात्मा में कभी देखने की हिम्मत कर पाए तो शायद एहसास हो सके कि जिन उम्मीदों , जिस विश्वास का दावा (जो करने की बिलकुल भी जरूरत नहीं थी , न अब है खासकर तब जब और भी बहुत सारे जरूरी काम हैं आप पूरी बेशर्मी से आकर अपना समर वैकेशन टास्क की मेटेरियल लिस्ट थमा देते हैं सरकार को।
आज ऑक्सीजन संभल नहीं रही ढाई करोड़ वैक्सीन आपको तुरंत दे दे सरकार , ज़रा अपने इन सिलेंडर और दवाइयों की कालाबाजारी करने वालों से पूछिए न या कहीं इनके लिए ही कोई नई दूकान खोलने की तैयारी तो नहीं की जा रही है आपके दोस्त कप्तान साहब के दरिया में दवाईयां बहती बहाती पाई गई हैं , यहाँ ऑक्सीजन टेंकर से गैस लीक की जा रही है , छी छी , लानत है , थू है आज गिद्ध से भी बदतर हो “आप ” जैसों पर।
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