आज जहां देश के अलग-अलग इलाकों में धर्मांतरण का गंदा खेल चल रहा है वहीं हमारे बीच कई ऐसे नौजवान हैं जो 4 सालों से आदिवासी इलाकों में उनके बीच में रहकर हिंदू धर्म की रक्षा करते हुए धर्म, संस्कृति और शिक्षा की रोशनी बिखेर रहे हैं.
आपको ऐसे ही एक नौजवान‘राष्ट्रवादी सुमित’ के हिंदू धर्म की रक्षा को लेकर किया जा रहे कुछ बेहतरीन योगदान के बारे में बता रहे हैं, जो आपको अचंभित कर देगा कि कैसे मात्र 26 साल की उम्र में उनके अंदर ये भावना आयी कि उन्होंने अपने गले में भगवा डाल लिया, उनके हाथों में हर समय रामायण और भगवद गीता रहने लगी जिसे लेकर वे गांव-गांव जाकर लोगों के बीच भगवद गीता और रामायण का महत्व को बताने लगे , ताकि आदिवासी इलाकों में रह रहे लोगों को हिंदू धर्म के बारे में पता चले. ,साधारण माध्यम वर्गीय परिवार से आने वाले ‘राष्ट्रवादी सुमित’ अब तक 2 हजार से ज़्यादा गीता, रामायण का वितरण कर चुके हैं, वो बताते है कि अदिवासी क्षेत्रों में निशुल्क हिन्दू समाज के सहयोग से और महीने का जो भी आमदनी होती है उसकी 20 फीसदी कमाई वे हिंदू धर्म के उत्थान, सामाजिक कार्य और गीता अभियान में करते हैं.
इन्होंने अपने गांव में 25 साल से अधूरे मंदिर को भी पूरा करने का काम किया है , आपको जानकर हैरान होगी इस मंदिर की देखरेख गांव में रहने वाली अदिवासी महिला करती है जिसे सब चाची कहते हैं, ये महिला 25 सालों से हर रोज जल चढ़ाने और मंदिर में साफ-सफाई का काम करती है . जिसके बदले में इन्हें 1100 वेतन के रूप में दिया जाता है.
एक और बात आपको जानकर बेहद खुशी होगी कि इस 100 फीसदी हिंदू बहुल आदिवासी इलाके में एक भी ईसाई या मुस्लिम नहीं है , ‘राष्ट्रवादी सुमित’ ने ये संकल्प लिया है न ही कोई ईसाई इस गांव में घुस सका है और न ही घुसने दिया जाएगा. ‘राष्ट्रवादी सुमित’ की मेहनत का ही फल है कि आदिवासी इलाकों में रह रहे लोगों में गीता और रामायण पढ़ने की भूख बढ़ती गयी. सुमित निःशुल्क इन दोनों को बीच बांटते हैं.
भारत ईसाई धर्मान्तरण का केंद्र बिंदु बन चुका है।तकरीबन 75 फीसदी से ज्यादा हमारे आदिवासी भाई बहन ईसाई धर्म की ओर खीचें जा रहे हैं और जो बचे हैं, उनके धर्म और संस्कृति की रक्षा सुमित जैसे लोग अपने मेहनत के बलबूते पर कर रहे हैं। दरअसल जहां-जहां कांग्रेस की सरकार आयी है, उन राज्यों में मिशनरियों को खुली छूट और सरकारी मदद मिली है जिसकी वजह से धर्मान्तरण का कार्य बहुत तेजी से हुआ.आदिवासी इलाकों की बात करें तो चाहे वो झारखंड हो ,छत्तीसगढ़ हो या फिर ओडीशा, यहां आदिवासियों को पैसे का लालच देकर ईसाई धर्म अपनाने के लिए बाध्य किया जाता है.
वैसे आज जहां की युवा पीढ़ी धर्म के नाम पर निराश कर रही है वहीं सुमित का कार्य वाकई आज के युवाओं के लिए मिसाल है , दरअसल आदिवासी समाज के लोगों की बात करें तो भोलेभाले होते हैं और इसी का फायदा मिशनरी उठाते हैं, छुआछूत के नाम पर बांटने का काम करते हैं , उन्हें पैसे का लालच देकर उनका धर्मांतरण कर देते हैं, एक नौजवान के संकल्प के बाद आसपास क गांव के युवाओं ने भी अपने क्षेत्र को धर्मान्तरण वाले मिशनरियों से बचाने का संकल्प लिया है।
राष्ट्रवादी सुमित की लोगों से प्रार्थना है कि अगर आप आर्थिक रूप से संपन्न हैं तो अर्थ से मदद करें और अगर आप समय से संपन्न हैं तो हिंदू धर्म को अपना समय दें .
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