सत्ता का दंभ कितना अधिक खतरनाक होता है और ये सच है कि ये हर किसी को ये हजम भी नहीं होता खासकर तब जब आप राम द्रोही , धर्म द्रोही , शासन -अनुशासन द्रोही हों , आत्ममुग्ध हों और सबसे अधिक कुंठित हों। और यदि भद्र भाषा में न बोला जाए तो अपनी गली के स्वघोषित शेर हों तो फिर उस गली , उस घर को जंगल मान और बना कर अपने नियम क़ानून कायदे बनाने लगते हैं।

कमोबेश यही हाल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का है जिनके अपने प्रदेश में अपने ही लोगों पर अपने ही लोगों द्वारा अत्याचार किया जा रहा है राजनीति के शह मात के खेल को जिंदगी मौत की बिसात बना कर लोग एक दुसरे का नरसंहार कर रहे हैं , बस्तियाँ जला रहे हैं , महिला मुख्यमंत्री होते हुए महिलाओं की ही अस्मत लूटी जा रही है मगर ममता बनर्जी कभी प्रधानमंत्री का सार्वजनिक अपमान करने की कोशिश करके तो कभी केंद्र की योजनाओं को नया नाम देकर अपने प्रदेश में लागू करके मीडिया आकर्षण का केंद्र बन रही हैं।

अभी हाल ही में ममता बनर्जी ने केंद्र द्वारा भेजी गई वैक्सीन लेकर , टीकाकरण के बाद दिए जाने वाले प्रमाणपत्र /रसीद पत्र पर प्रधानमंत्री मोदी जी की फोटो हटा दी ( मोदी के प्रति उनका पूर्वाग्रह और द्वेष जगजाहिर है ) मगर वे इतने पर ही नहीं रुकीं कर भारत का प्रधानमन्त्री बनने के अपने सपने की ललक में उन सब पर अपनी फोटो चिपका दी।

अब जब उन्होंने इस देश में अपना खुद का एक ऐसा मुल्क बना ही लिया है जहां न केंद्रीय बल काम कर सकता है न ही केंद्रीय कानून , जहां न राज्य की महिलाओं की अस्मत सुरक्षित है और न ही प्रधान मंत्री का सम्मान , कानून और व्यवस्था के नाम पर ममता राज चल ही रहा है तो फिर इस प्रमाणपत्र पर ही क्यों उन्हें चाहिए की वे मुगलिया राज की तरह अपने नाम और तसवीर वाले सिक्के , रूपए भी जारी कर ही लें।

शरिया संविधान लिख लें और जेहादियों की सेना खड़ी कर लें। जय श्री राम के जयघोष से तो उन्हें दिक्कत है ही बहुत तो नारा ए तकबीर ही बुलंद करवाएं अब। ममता सुल्ताना ज़िंदाबाद , ज़िंदाबाद- ज़िंदाबाद।

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