लिबरल वामपंथी मीडिया के कुछ चुनिंदा चेहरे अपनी षड्यंत्रकारी चालों से चुनी हुई मोदी और योगी सरकार के खिलाफ अपना झूठा प्रोपेगेंडा चलाते रहते हैं । लोकतंत्र में स्वस्थ आलोचना का तो स्वागत है मगर झूठ नफरत से सने हुए मक्कार दिमाग सिर्फ और सिर्फ एजेंडा चलाते हैं। हैरानी की बात यह है कि वैश्विक पटल पर यह सभी लोग खुद को प्रोग्रेसिव पत्रकार, फैक्ट न्यूज़ चेकर बताते हैं… यूं तो पिछले 70 सालों से देश में ऐसे लोग रहे हैं मगर सोशल मीडिया आने के बाद पिछले 10 सालों से ऐसे चेहरों का नकाब तेजी से उतरने लगा है।
Fact न्यूज़, पत्रकार, एनजीओ, समाजसेवी जैसे तमाम नकाब ओढ़कर अबतक ये लोग अपना नफरती एजेंडा छुपकर चलाते थे। गाजियाबाद मामले में जिस तरह से इन्होंने मामले को सीधे-सीधे हिंदू-मुस्लिम करने का षड्यंत्र किया और ‘जय श्रीराम’ वाक्य को लेकर नफरत फैलाई..उसकी कलई अब खुल गई है। 2014 के बाद से नरेंद्र मोदी सरकार को यह लोग अपने एजेंडे से बदनाम करते रहे हैं और फिर चाहे बीजेपी शासित किसी भी राज्य की सरकार हो, उसे बदनाम करने में यह लोग कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। गाजियाबाद मामले में यह लोग भूल गए कि इस बार यह योगी आदित्यनाथ सरकार पर झूठ फैलाने जा रहे हैं।
इन्होंने तो साधारण तौर पर मुस्लिम विक्टिम कार्ड प्ले करते हुए झूठ लिख दिया और ये इन्होंने आदतन किया। अपनी आदत के मुताबिक जय श्री राम नारे के खिलाफ लिखकर यह लोग भूल गए थे कि गाजियाबाद उत्तर प्रदेश में आता है और यहां योगी आदित्यनाथ का शासन है।
अभी हाल ही में पश्चिम बंगाल और ट्विटर मामले में केंद्र सरकार का ढुलमुल रवैया सभी ने देखा मगर यह योगी आदित्यनाथ की सरकार है जिसने ट्विटर समेत नौ लोगों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कर अफवाह फैलाने वालों को कड़ा संदेश दिया है । सफाई में अब यह गैंग ट्वीट कर रहा है और उसे डिलीट भी कर रहा है उधर दूसरी तरफ योगी सरकार किसी भी तरह इन्हें बख्शने के मूड में नज़र नहीं आ रही है।
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