हाय हाय देशवासियों,
हम सब तथाकथित बुद्धिपिशाच – लिबरल – सेक्यूलर सरगनाओं ने एक होकर इस मुश्किल भरे समय में आपको याद किया है। भूमिका न बांधकर हम सीधा अपने गिद्ध एजेंडे पर आते हैं…सुनिए… इस फासीवादी सरकार के समय में जिस तरह से अत्याचार हो रहा है ये देखकर हमारा दिल कांप रहा है। बेशक हम सब अक्सर मजाक में कहा करते थे कि ‘राम का नाम’ लेकर राज करने वाले कभी राम मंदिर की तारीख नहीं बताएंगे, मगर अब जब मंदिर बन रहा है तो हम सबको स्थान विशेष में दर्द हो रहा है।
वर्तमान की फासीवादी सरकार अयोध्या में भव्य राममंदिर बनाने जा रही है, हैरत की बात है कि भारत के प्रधानमंत्री मोदी से शिला रखवाई जा रही है जबकि अल्पसंख्यक समाज के प्रति सौहार्द रखते हुए ‘वजीरे आला पाकिस्तान जनाब इमरान खान’ से रखवाई जानी चाहिए थी।
..खैर इस फासीवादी सरकार के समय में बाबर, तुगलक, औरंगजेब जैसे नर्मदिल, लोकतंत्र के हिमायती बादशाहों का अपमान ही होगा…ये हम जानते थे। इसलिये हमने पूरी कोशिश की थी कि राम मंदिर का एजेंडा भारतवर्ष के दिमाग से मिटाया जा सके। हम लगातार अयोध्या में मंदिर वाली जगह पर अस्पताल-स्कूल बनाने की मूर्खतापूर्ण बातें करते रहे।
ये हम ही थे जिन्होंने राम के वजूद को भी नकारा ताकि इस देश के जेहन से राम कृष्ण मिट सकें और आपको फिर से मानसिक गुलाम बनाया जा सके। मगर आपने 2014 और 2019 में फिर इस सरकार को चुनकर हमारे मंसूबों पर पानी फेरा…।
राम मंदिर निर्माण रोकने के लिए हमने राम को काल्पनिक बताया, रामसेतु को झूठ बताया और तो और जब भी आप नहीं माने तो हमने आपके कारसेवकों पर 1992 में मुलायम सरकार से गोलियां भी चलवाईं। सरयू नदी में जब लाशें तैर रही थीं तब हमने कहीं नहीं लिखा कि मुलायम सरकार ने लोकतंत्र की हत्या की है या नागरिक अधिकार का हनन किया है। मगर जिस तरह इस समय ये सरकार राम मंदिर का भव्य निर्माण करने जा रही है तो अब हम सब स्कूल- अस्पताल- स्वास्थ्य-रोजगार की बात करेंगे ही क्योंकि हमें पैसा ही देश-संस्कृति तोड़ने का मिलता है। हम किसी भी तरह चाहते हैं कि राम मंदिर शिलान्यास रुक जाए बेशक इसके लिए हमें कितने भी फर्जी नरेटिव चलाने पड़ें।
अरे भाई 600 सालों से तुम हिंदुओं ने अपने मंदिर के लिए संघर्ष किया है तो आगे भी कर लेते तुम तो सोए हुए हो फिर अब जाग क्यों रहे हो?? तुम्हारा ये जागना ही लोकतंत्र को खतरे में डाल रहा है..। लोकतंत्र की दुहाई है तुम जागो मत , तुम जगे तो हमारा गजवा-ए-हिन्द का ख्वाब कैसे मुकम्मल होगा??
इसलिए हे भारत की जनता आप हमारे दर्द को समझो… हमारे साथ घरों में बैठकर मातम मनाओ..हमारे फिसलते उघड़ते छिनते एजेंडे पर मुस्कराकर कभी मत बोलो…जय हिंद-जय श्रीराम..!
खबिश कुमार
खाजदीप सरदेसाई
बिनोद कबाड़ी
शौचेन्द्र यादव
प्रशांत प्रदूषण
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