सुशांत सिंह आत्महत्या मामले में हर दिन एक नई गुत्थी सामने आ रही है। जो मामला पहले आत्महत्या लग रहा था, अब एक सोची-समझी साजिश की ओर संकेत कर रहा है। इस मामले को सुलझाने में बिहार सरकार यथासंभव सहयोग कर रही है और आगे भी करेगी लेकिन मुंबई पुलिस का जो योगदान दिख रहा है यह निंदनीय तो है ही साथ में आश्चर्यजनक भी है। यह अब सब की नज़रों के सामने है कि वहां के बड़े लोग अपराधी को बचाने की कोशिश में लगे हुए हैं। 

बिहार से जांच के लिए गए एसपी विनय तिवारी को मुंबई में आईपीएस मेस में जगह नहीं दी गई, उन्हें क्वारंटाइन कर दिया गया, यह सब कानून व्यवस्था के साथ एक भद्दा मज़ाक है। आखिर, उसी जहाज से पहुंचे अन्य अधिकारियों को क्यों छोड़ गया? 

कांग्रेस एक तरफ कहती है कि उनकी सरकार हमेशा सच का साथ देती है, लेकिन जब सच दिखाने की बारी आई तो चारों तरफ सन्नाटा है। “हाथी के ‘दाँत’ दिखाने के और खाने के और” यह मुहावरा इन कांग्रेसियों पर बिलकुल सटीक बैठता है, जो कल तक सुशांत के लिए गला फाड़ रहे थे, आज उसी सुशांत का सच छिपा रहें हैं। 

कांग्रेस और शत्रुघन की चुप्पी

एक तरफ बिहार में शोर मचा रहे हैं कि हमें सुशांत को इंसाफ दिलाना है और दूसरी तरफ महाराष्ट्र सरकार का विरोध भी नहीं करते? यह कैसा भाईचारा निभा रहें हैं और यह कौन सी खिचड़ी पक रही है, यह किसी से छिपा थोड़े हैं। अगर आपको सचमुच बिहार के इस सपूत की फिक्र है तो आप महाराष्ट्र सरकार का विरोध करें। माननीय शत्रुघ्न सिन्हा जैसे भी कुछ लोग हैं, जो खुद बिहार से निकल कर एक नाम पाए हैं, वह इसके पीछे के संघर्ष से भलीभांति परिचित हैं, फिर भी उनकी कथनी और करनी में जमीन आसमान का अंतर दिख रहा है।

शत्रु जी ने अभी तक सुशांत के मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से महाराष्ट्र सरकार की शिकायत क्यों नहीं की? यह एक कठिन सवाल है और इससे भी ज्यादा कठिन यह है कि इतने अनुभवी अभिनेता होने के बावजूद भी इन्होंने बॉलिवुड माफियाओं के बारे में एक शब्द भी नहीं निकाला। अक्सर जो सच बोलने की बात करते हैं उनका ही पैर झूठ में अधिक फँसा होता है। 

बिहार सरकार ने इस केस को लेकर सीबीआई जांच की सिफारिश की है, स्वयं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने इसकी पहल की है। इसके अलावा भी मुख्यालय डीआइजी रैंक के अधिकारी को मुंबई भेजने पर विचार किया जा रहा है। अभी तीन नामों पर चर्चा चल रही है, जिसमें मुंगेर डीआइजी मनु महाराज, एटीएस डीआइजी विकास वैभव और एसटीएफ डीआइजी विनय कुमार शामिल हैं। अब जो भी सच होगा वह जल्द ही सामने आएगा और सुशांत सिंह राजपूत तथा उनके परिवार को इंसाफ मिलेगा।

इन सबसे बढकर प्रश्न यह है कि राजद और कांग्रेस के लोग अचानक से मौनी बाबा जो बन गए हैं, उनके होठों पर पड़ा ताला कब तक खुलेगा?

व्यालोक (लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं )

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.