पिछले दिनों सरकार द्वारा एक कानून में संशोधन के विरूद्ध एक ख़ास तबका ढपली ढोल लेकर सड़कों पर खड़ा हो गया ,रेल फूँक डाली ,पटरियां उखाड़ दीं | चारों तरफ हिंसा और आगजनी का वहशी खेल खेला गया | और इन सबके बीच बार बार सरकार प्रशासन पुलिस को ललकार कर कहा गया “कागज़ नहीं दिखाएँगे , नाम पूछोगे तो रंगा बिल्ला बताएँगे मगर कागज़ नहीं दिखाएँगे ” |
इतनी मासूमियत से अपना सच या तो वो बता सकता है जो सच में ही मासूम हो या फिर निरा ज़ाहिल | बहरहाल , देश की अधिकाँश अमन पसंद जनता ने पिछले दिनों ये “कागज़ नहीं दिखाएँगे ,कागज़ नहीं दिखाएँगे ” वाला तमाशा इतना ज्यादा देख लिया और उससे भी अधिक ऐसे ऐसे हरकतें और बयानात देखे सुने कि उसके बाद सब अचानक ही कह उठे रहने दो मियाँ जी ,कागज़ मत ही दिखाओ , सबको सब कुछ वैसे ही पता चल गया है |
प्रधानमंत्री के इस बयान कि कपड़ों से ही पहचान हो जाती है पर बिदक कर खच्चर हो जाने वाले तमाम विद्वान उन्हीं प्रधानमंत्री के फिसल भर जाने के बाद और अब गृह मंत्री के कोरोना पीड़ित होने की घटना पर किस तरह से अपनी गलीज़ सोच को फख्र के साथ पूरी दुनिया के सामने जब रखते हैं तो फिर उन शब्दों को सोच कर पढ़ कर अलग कुछ पढ़ने समझने की जरूरत ही नहीं महसूस होती |
कभी हिन्दू , भारत माता ,भाजपा ,नरेंद्र मोदी सबके प्रति धीरे धीरे अपने भीतर पाल रहे द्वेष के विष से आज ये लोग खुद इतने जहरीले हो गए हैं कि इसके लिए इन्हे किसी कागज़ ,किसी प्रमाणपत्र की जरूरत ही नहीं रह गई है |
कभी कूद कूद कर सबको बताने वाले अभिनेता आमिर खान को तब बिलकुल भी नहीं डर लगता जब उनकी अपनी कौम वाले दंगाई जिहादी बन कर पूरे देश समाज को फूँक डालने को उद्धत होते हैं | वो आमिर खान जो हिन्दू मान्यताओं ,आस्थाओं का अपमान करके इसी देश में सात सौ करोड़ रूपए कमाता है उसे एक ख़ास समय पर इस देश में रहने से डर लगने लगता है |
तो आमिर ,शाहरुख ,सलमान ,सैफ ,फरहान ,नसीरुद्दीन जैसे किसी को भी कभी भी कागज़ दिखाने की जरूरत नहीं है वो इसकी ज़ेहमत भी न उठायें बस अपने कथनों और कर्मों से बार बार अपने उसी कट्टरपंथी सोच को और अधिक मजबूत करें | किसी एक का भी कभी आपने कोई बयान कथन आता सुना /देखा हो जिसमें ये सबसे इस तरह की दंगाई प्रवृत्ति और हिंसा को त्याग कर अन्य विकल्पों के लिए आग्रह करते दिखे हों | ये कर ही नहीं सकते ऐसा कभी ?
एक दिन बाद अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर का भूमि पूजन उत्सव होने जा रहा है | अयोध्या समेत पूरे हिन्दुस्तान ही क्या पूरे विश्व में इस पर्व को पूरे हर्षो उल्लास के साथ ,संस्कृति और प्रकृति को साक्षी मान कर ,पूरी नम्रता से मंदिर निर्माण का जो संकल्प लिया जा रहा है , एक पल को सोच कर देखिये कि यदि आज फैसला इसके विपरीत होता या अलप संख्यक समुदाय के पक्ष में होता ,तो भी क्या ये सब इतनी ही शान्ति और सौहार्दपूर्ण वातावरण में होता ,किया जा सकता ?
पिछले छः वर्षों का भाजपा शासनकाल इस बात का परिचायक है कि ये लोग चाहे छः वर्ष सत्ता में रहें या 60 वर्ष ,प्रतिशोध और वैमनस्य की राजनीति करने से कहीं बेहतर विकास और सृजन के मार्ग पर बढ़ते जाना है | समय के साथ जिन्होंने खुद को देश और राष्ट्र के प्रति समर्पित नहीं किया वे खुद अलग थलग पड़ते चले जाएंगे |
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