तालिबान अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी ‘काबुल’ से बस चंद कदमों की दूरी पर है बस एकy या दो दिनों में उसपर पूरी तरह से तालिबान का कब्जा हो जाएगा।

वहां की सरकार और सेना दोनों ने तालिबान के आगे घुटने टेक दिए हैं।

लोगों में दहशत का माहौल है खासकर महिलाओं और बच्चों में।

अपने आप को उदारवादी और हमेशा मानवाधिकार की बात करने वाली विश्व के तमाम देश इसपर चुप्पी साधे हुए हैं।

तालिबान के कब्जे के साथ ही पूरे अफ़ग़ानिस्तान में ‘शरिया लॉ ‘ लागू हो जाएगा जिससे अंतर्गत धर्म को किसी भी कानून ,संविधान या सरकार से बड़ा माना जायेगा ।

महिलाओं को हिजाब पहनना अनिवार्य किया जाएगा। उनके पढ़ने लिखने ,खाने पीने, रहने घूमने पर तमाम तरह की पाबंदिया लगायी जाएंगी । उन्हें एक सीमित दायरे में रखा जाएगा ,जो धर्म के खिलाफ जाएगा उसे मार दिया जाएगा इत्यादि।

आज हम बड़े उल्लास एवं जोश के साथ स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं और उधर अफ़ग़ानिस्तान में लोगों की आजादी उनसे छीनी जा रही है ।

आज उन तमाम बुद्धिजीवियों और आजादी गैंग के सदस्यों को अफगानिस्तान की वर्तमान स्थिति को जरूर देखनी चाहिए और ये सोचना चाहिए कि जब वास्तव में आजादी छीनी जाती है तो कैसा महसूस होता है।

आज एक जीते जागते देश को एक आतंकवादी संगठन ने कब्जा लिया और कोई कुछ न कर पाया और हमारे देश में आए दिनों आंदोलन के नाम पर एक प्रोपगेंडा के तहत आजादी के नारे लगाए जाते है।

आज हम एक आजाद वातावरण में रहते है। हमें हर तरह की आजादी प्राप्त है हम संविधान के दायरे में रह कर जो चाहे वो कर सकते है लेकिन इसके बाद भी कुछ लोगों को यहां डर लगता है तो कुछ का मानना है कि यहां अल्पसंख्यक (मुस्लिम वर्ग) सुरक्षित नही है।

अफ़ग़ानिस्तान तो एक इस्लामिक देश है फिर वहां ऐसी स्थिति क्यों उत्पन्न हुई ? क्या वहां की जनता अब आजाद महसूस करेगी ? वहां की जनता भी मुस्लिम और सरकारें भी मुस्लिम है फिर वहां ऐसा क्यों देखने को आया ?

भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में जहां संविधान द्वारा प्रत्येक व्यक्ति एक समान अधिकार प्राप्त है। यहां आंदोलन के नाम पर कोई भी व्यक्ति देश के खिलाफ बोलकर रातोरात स्टार बन जाता है और एक खास समूह उसको अपना रोल मॉडल मान लेती है।

आज जिन्हें देश में डर लगता है उन्हे अफगानिस्तान की ओर एक बार जरूर देखना चाहिए।

                              
                      अभिनव त्रिपाठी

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