‘बाह्य शत्रु और अंतर्गत देशद्रोहियों से भारत की सुरक्षा’ इस विषय पर ‘ऑनलाइन’ विशेष संवाद !

     भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सी.डी.एस.) जनरल बिपिन रावत ने तीनों सेनाओं का एकत्रीकरण कर देश के अंतर-बाह्य शत्रुओं के विरुद्ध एक प्रभावी तंत्र बनाया था । उरी, म्यांमार और डोकलाम में सफल सैन्य कार्यवाही की थी । उनके किए जा रहे प्रयत्नों के कारण आनेवाले दो-ढाई वर्षों में देश की सर्व बाधाएं दूर हो गई होती; परंतु  उनके अकाल  जाने  के कारण यद्यपि उस पर परिणाम हुआ है, तथापि  सी.डी.एस. रावत के पश्‍चात उसी क्षमता के,  अभ्यासक,  विशेषज्ञ,  अनुभवी,  कुशल नए  सेनाधिकारी  का  चयन सी.डी.एस. पद पर किया जाएगा तथा वह अधिकारी उनका शेष कार्य सफलता पूर्वक आगे ले जाएगा । भारत  के  आगामी  कार्य  पर  विपरीत  परिणाम  नहीं  होने दिया जाएगा, ऐसा प्रतिपादन युद्ध सेवा पुरस्कार प्राप्त तथा (निवृत्त) ब्रिगेडियर हेमंत महाजन ने किया ।  वे  हिन्दू जनजागृति  समिति  द्वारा आयोजित ‘बाह्य शत्रु और अंतर्गत देशद्रोहियों से भारत की सुरक्षा’ इस विषय पर ‘ऑनलाइन’ विशेष संवाद में बोल रहे थे ।

     इस समय संवाद में सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता पृथ्वी चौहान ने कहा कि, सी.डी.एस. बिपिन रावत ‘आत्मनिर्भर भारत’ योजना के अंतर्गत तीनों सेनाओं का सक्षमीकरण कर रहे थे । अढाई स्थानों पर अर्थात एक मोर्चा पाक के विरुद्ध, दूसरा मोर्चा चीन के विरुद्ध तथा आधा मोर्चा देशद्रोहियों के विरोध में वे लड रहे थे । जिहादी नेताओं को घर में घुसकर मारा जाता था । इसलिए रावत के निधन पर जिहादियों को आनंद हो रहा है; परंतु देशप्रेमियों को एकत्रित आकर उन्हें उत्तर देना चाहिए ।

        ‘भारत रक्षा मंच’ के राष्ट्रीय सचिव श्री. अनिल धीर ने कहा कि, सी.डी.एस. बिपिन रावत के निधन पर आनंद व्यक्त करनेवाले जो जिहादी प्रवृत्ति के लोग हैं । वे पहले सेना पर बलात्कार का तथा कश्मीर में भटके हुए युवकों को मार डालने का आरोप लगाकर उनका मनोबल दुर्बल करते थे । उनके साथ कम्युनिस्ट, चीन समर्थक, आतंकवादी और अलगाववादी लोग विविध समाचार प्रणाली पर चर्चा कर मनोबल घटाने का प्रयत्न कर रहे थे । जो सेना स्वयं के प्राण संकट में डालकर देश की रक्षा कर रही है, उनके संबंध में अपमानजनक बोलना अनुचित है ।

       हिन्दू जनजागृति समिति के मध्य प्रदेश और राजस्थान समन्वयक श्री. आनंद जाखोटिया ने कहा कि, अब युद्ध में परिवर्तन हो गया है । इसलिए सीमा के शत्रुओं के साथ ही सेना को अंतर्गत देशद्रोहियों से भी लडना पड रहा है । त्रिपुरा में घटी घटनाओं के कारण महाराष्ट्र में 6 स्थानों पर धर्मांधों ने दंगे किए । आगे ऐसी घटनाएं और बढेंगी इन अराजकतावादियों के साथ देशवासियों को बडा संघर्ष करना पडेगा । सेना का अपमान और देश के विरोध में लडने वाले अंतर्गत शत्रुओं पर कठोर कार्यवाही करने के लिए केंद्र सरकार को नया कानून बनाना चाहिए । सर्व देशप्रेमियों को एकत्रित आकर इन देशद्रोहियों को मुंहतोड उत्तर देना चाहिए, ऐसी भी श्री. जाखोटिया ने कहा ।

रमेश शिंदे,राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति

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