ये महज़ इत्तेफाक है या कोई बड़ी गहरी साजिश , इस ात का पता तो इससे जुड़ी जांच की रिपोर्ट आने पर ही सही सही चलेगा। किन्तु पिछले कुछ समय में जिस तरह से हिंसक भीड़ द्वारा क्रूरतापूर्वक एक एक बाद एक तीन हत्याओं में धर्म , सिक्खी की बेअदबी किए जाने के प्रयास को आधार बनाया गया वो संयोग नहीं जान पड़ता है।
कर्पूरथला वाली घटना के लिए , पुलिस की तफ्तीश में अब यह बात निकल कर सामने आ रही है की एक मानसिक रूप से मंद युवक भूख से विवश होकर गुरु के द्वारे चला गया तहा जहां श्रद्धालु , सांगत ने उसे बेअदबी के प्रयास करने के कारण , बाकायदा घोषणा करके और अधिक भीड़ बुलाकर वीडियो बनाते हुए , पाशविक तरीके से उसकी ह्त्या कर दी।
इन तीनो हत्यापराधों में जो बातें समान थीं वो थीं – तीनों को ही गुरु साहब की शान में किए गए बेअदबी के तथाकथित प्रयास का दोषी मान , बता और तेहराकर , एक धार्मिक भीड़ द्वारा न सिर्फ कर दी गई बल्कि बाकायदा रिकॉर्डिंग भी की गई और सबसे दुखद ये कि अपराध किए जाने के समय पुलिस भी वहीँ मौजूद थी मगर बेबस और लाचार।
एक पल को -गुरु की शान में बेअदबी , प्रयास , इरादा , दोषारोपण , सज़ा , सांगत आदि किसी भी बिंदु पर बिना कोई विमर्श किए इससे इतर जो तथ्य आज गौण कर दिए गए हैं उन पर बात , आज और अभी की जानी जरूरी हो जाती है।
सिर्फ आंकड़ों की बात करने तो अपुष्ट श्रोतों के अनुसार सिर्फ पिछले कुछ वर्षों में ही ईसाई मिशनरीज़ ने अपने धर्मांतरण व्यापार को पूरे वेग से बढ़ाते हुए 19 प्रतिशत नई ईसाई जनसंख्या बढ़ा ली। गुरु की धरती पर सिक्ख और सिक्खी के प्रहरी कट्टर निहंगों के रहते यह सब कैसे संभव हो पा रहा है ये जरूर ही अन्वेषण का विषय है।
पंजाब जो इन दिनों चौतरफा कई कठिनाइयों से पहले ही घिरा हुआ और पिछले कुछ ही समय में , राजनैतिक अस्थिरता और अलगाववाद के बढ़ते प्रभाव के साये में घिर कर आहत है वहां फिर लोगों का ऐसा निरंकुश व्यवहार हैरान नहीं करता।
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