उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार की वापसी क्यों जरूरी है , ये सिर्फ सपा द्वारा आगामी विधानसभा चुनाव के लिए जारी अपने प्रत्याशियों की नाम कारनामे और सूची , जो कि जाहिर है बस एक बानगी भर है , को देखकर सहज ही लग जाता है।
ज्ञात हो की मुस्लिम तुष्टिकरण और अपराधियों को संरक्षण देने की अपनी एकमात्र नीति और सूत्र को ही अचूक फार्मूला मानने/बनाने वाली सपा के तथाकथित युवा , अखिलेश यादव , अपनी पार्टी लाईन “लड़कों से गलती हो जाती है ” की परिपाटी से इधर -उदाहर कुछ भी सोच नहीं पाए। इसलिए इस बार भी प्रदेश के सारे अपराधी चरित्र , विशेषकर मुग़ल समुदाय को फिर से एक बार मौक़ा देने को लालायित हैं।
हिन्दुओं का नामो-निशाँ मिटा कर गजवा-ए -हिन्द स्थापित करने का मसूबा रखने वालों के सहारे उत्तर प्रदेश में फिर से जंगलराज और भ्रष्टाचार , सांप्रदायिक विद्वेष , दंगे , भाई भतीजावाद की दूसरी तीसरी लहार को लहराने के लिए अखिलेश लहालोट हुए जा रहे हैं।
राम भक्तों पर गोली चलवाने , साधू संतों का अपमान करने , अयोध्या काशी की उपेक्षा के बावजूद कृष्ण उनके सपने में आते हैं -समाजवाद की सत्ता स्थापित हो जाएगी -ये कहते हैं -मगर मथुरा के मंदिर निर्णाम की बाबत कोई बात नहीं होती।
खुद , अखिलेश का समाजवाद भी कितना विरोधाभासी है -देखिए , विदेशी विश्विद्यालय में बड़ी ही घनघोर उच्च शिक्षा ग्रहण करके राजनीति करने भारत आए अखिलेश यादव कभी चुनाव को बैलेट पेपर से करवाए जाने की जिद कर बैठते हैं तो कभी डिजिटल चुनाव का नाम सुनते ही हथियार डाल देते हैं।
रही सही कसार , राजनीति की हवस वाले सत्ता लोलुपों की पूरी टोली को अपने साथ मिलाकर , समाजवादी पार्टी ने पुरे प्रदेश को मानो चेतावनी दे दे है कि
चुन लो , हमको एक और बार जी
सैफई में ,फिर सजेगा बाज़ार जी
और इन सबके बीच विकास के रास्ते पर तेज़ी और दृढ़ता से बढ़ चला उत्तर प्रदेश सोच रहा है -व्हाय दिस कोलावेरी कोलावेरी डी ?? क्यों ? आखिर क्यों ढोता रहे उत्तर प्रदेश इस सायकल को ,जब बुलेट ट्रेन और मेट्रो की तैयारी साधी जा चुकी है।
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