दिल्ली दंगों के 2 साल पूरे हो चुके हैं। 24 फरवरी 2020 को दिल्ली में हुए दंगों में दिल्ली जल रही थी. हजारों हिंदुओं को निशाना बनाया गया, चुन-चुर कर हिंदु परिवार के लोगों की हत्याएं की गई. दिल्ली के दिल पर ये ऐसा घाव दे दिया गया जो शायद ही कभी भर पाए, जिन हिंदु परिवारों ने अपनों को खोया आज भी उनके आंखों के आंसू सूखे नहीं हैं. दिल्ली में रहने वाले हिन्दु परिवार आज भी डर के साये में जी रहे हैं । आपको याद दिला दे दिल्ली की एक कोर्ट ने अक्टूबर 2020 में दिल्ली दंगों को “विभाजन के बाद राजधानी में हुए सबसे भीषण और भयावह दंगे बताया था। भारत प्रमुख वैश्विक शक्ति बनने की आकांक्षा रखता है। ऐसे राष्ट्र के लिए 2020 के दिल्ली दंगे राष्ट्र की अंतरात्मा पर घाव जैसे हैं,”
फाइल फोटो, साभार-सोशल मीडिया
दिल्ली दंगों में इस्लामी कट्टरवादियों ने किस तरह से हिन्दुओं को बेरहमी से मारा था, वो याद कर आज भी मन सिहर उठता है. कैसे हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल को पीट-पीट कर मार डाला गया था। वो पहले हिन्दू थे, उन दंगों के दौरान जिनकी हत्या हुई थी। रतनलाल पर कट्टरपंथी इस्लामिक भीड़ ने उस समय हमला किया जब वे चांद बाग के वजीराबाद रोड पर अपनी ड्यूटी कर रहे थे।
आईबी में काम करने वाले अंकित शर्मा को कैसे भूल पाएंगे हम जिनके शरीर पर जख्म के दर्जनों निशान थे और उन्हें कई बार चाकुओं से गोदा गया था। उन्हें घसीटते हुए ताहिर हुसैन की इमारत में ले जाया गया और वहां कई लोगों ने मिल कर उनकी हत्या कर दी। अंकित शर्मा की इतने बर्बर तरीके से हत्या की गई थी कि हम और आप सोच भी नहीं सकते. हत्या के बाद दंगाइयों ने शव को नाले में फेंक दिया था.
उत्तराखंड के रहने वाले दिलबर नेगी को किस बर्बरता से मारा गया था ये सुनकर किसी की भी रुह कांप जाएं. दिलबर जिस दुकान में काम करता था दंगाईयों ने उस बिल्डिंग पर पहले कब्जा किया और फिर दूसरे फ्लोर में मौजूद दिलबर के हाथ पैर तलवार से काटने के बाद उसे जिंदा जला दिया था और फिर जलते हुए घर में आग के हवाले कर दिया था।
दिल्ली में दंगा तो खत्म हो गया लेकिन दंगे की हैवानियत की कहानियां अब भी बाकी है. 24 और 25 फरवरी को उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगाईयों ने इंसानियत की सारी हदें पार कर दी थी ।
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