झारखंड के हजारीबाग जिले से 17 साल के रुपेश पांडेय की हत्या किस निर्ममता से की गई थी, इसका खुलासा पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हो चुका है. हजारीबाग के बरही थाना के दुलमाहा गांव में मुस्लिम भीड़ ने 6 फरवरी 2022 को उसकी हत्या कर दी थी। शुरूआत से ही इस मामले में पुलिस प्रशासन और सरकार की तरफ से लीपापोती होती रही है.

न्याय के लिए पीड़ित परिवार को कई दिनों तक धरने पर बैठना पड़ा. हालांकि जब बीजेपी और हिंदुवादी संगठनों ने इस मामले को जोर-शोर से उठाया तब जाकर पुलिस ने कुछ आरोपियों को गिरफ्तार किया. सरकार की तरफ से भी ना तो किसी तरह के मुआवजे की घोषणा की गई थी ना ही आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई का कोई आश्वासन, लेकिन जब kreately मीडिया की टीम ने हर तरह से रुपेश के परिवार को न्याय दिलाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया. तब जाकर सीएम हेमंत सोरेन ने परिवार से मुलाकात की .

इस मामले में शुरू से ही लग रहा था कि आरोपियों को सरकार का सरंक्षण मिला हुआ है और धीरे-धीरे ये बात सामने भी आ रही है. बरही से कांग्रेस विधायक उमाशंकर अकेला ने हजारीबाग स्थित लोक नायक जेपी केंद्रीय कारा जाकर रुपेश हत्याकांड के मुख्य आरोपियों में शामिल पप्पू असलम सहित अन्य आरोपियों से मुलाकात की, मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक विधायक ने सभी आरोपियों को न्याय दिलाने की बात कही है. इस दौरान वे जेल में बंद आरोपियों के लिए मिठाई और फल भी लेकर गए. इतनी ही नहीं उन्होंने असलम सहित सभी आरोपियों को आश्वासन दिया कि आपको जल्द से जल्द यहां से मैं छुड़वाउंगा जिसके लिए मैंने सीएम हेमंत सोरेन और मंत्री आलमगीर आलम से बात की है.

बता दें आपको रुपेश हत्याकांड मामले में विधायक उमाशंकर अकेला शुरू से ही आरोपियों को बचाने की कोशिश कर रहे थे. यहां तक कि पुलिस प्रशासन के साथ मिलकर सत्ता की धौंस दिखाकर मामले को ठंडे बस्ते में डालने की भी कोशिश की गई. और शायद यही वजह है कि 27 नामजद आरोपियों में से मात्र 5 की ही गिरफ्तारी हुई है .

आपको याद दिला दे ये वहीं विधायक जी है जिन्होंने जब रूपेश पांडेय के परिवार को 50 हजार का चेक दिया था तो जांच की धीमी प्रक्रिया से नाराज रुपेश के परिवार ने विधायक से मिली मदद राशि को लौटा दिया था. वहीं परिवार ने ये भी आरोप लगाया था कि रूपेश की हत्या के बाद जमकर राजनीति की जा रही है।.

इसी से समझिए की झारखंड में एक हिंदु परिवार को न्याय के लिए क्या-क्या बर्दाश्त करना पड़ता है. वैसे में जब हत्या के आरोपियों से मिलने विधायक जी खुद जेल पहुंचे, उनका मुंह मीठा कराये तो फिर उनका बाल बांका करने की हिम्मत किसमें है ? झारखंड में सत्ता की छांव में बैठे अपराधियों को अगर खुद सरकार में शामिल लोग ही संरक्षण देने का काम करेंगे तो फिर ऐसे लोगों से इंसाफ की उम्मीद भी कैसे की जा सकती है ?

 

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