मध्यप्रदेश के खरगोन में रामवनमी के दिन भगवान राम की शोभायात्रा में हिंसा हुई, वहां मौजूद हिंदुओं पर पत्थरबाजी की गयी. उनपर हमले किये जिसमें कई पुलिस वाले भी घायल हुए. लेकिन जब पुलिस ने छानबीन शुरू की तब पता चला कि ये अचानक नहीं था बल्कि पूरी प्लानिंग के साथ दंगे भड़काने की कोशिश की गई थी.
वहीं बिना समय गवाए मध्यप्रदेश सरकार ने पत्थरबाजों, कट्टरपंथियों पर एक्शन लेते हुए सरकारी संपत्ति के नुकसान की भरपाई भी करनी उन्ही लोगों से शुरू भी कर दी. सीएम शिवराज सिंह चौहान और सूबे के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने सख्त तेवर अपनाते हुए उन उपद्रवियों के घरों की कुर्की जब्त की और उनरे घरों पर बुलडोजर चलवा दिया. लेकिन बात इतने से ही खत्म नहीं होती है. इसके बाद तथाकथित लिबरल और हमारे देश के वामपंथी पत्रकारों के सीने पर मानो सांप लोटने लगा हो. क्योंकि इनके चाहने वाले इनसे हमदर्दी रखने वाले लोगों को ये हजम ही नहीं हो रहा था कि सरकार आखिर इनकी संपत्तियों पर बुलडोजर कैसे चला सकती है उनके घरों को जमींदोज कैसे कर सकती है ?
सरकार की कार्रवाई के बाद एक के बाद एक एजेंडेबाज पत्रकार सामने आकर उल्टे सरकार की कार्रवाई पर ही सवाल खड़े करने लगे, पत्रकार सबा नकवी तो इतने ज्यादा डिप्रेशन में चली गईं कि उन्होंने इसे एक सामान्य कार्रवाई ना बताकर मुसलमानों पर हमला करार दे डाला .
वहीं पत्रकार साक्षी जोशी जिनका एकमात्र एजेंडा ही मोदी विरोध और हिंदु विरोधी है, उन्होंने ट्वीट कर पूछा कि कि क्या न्यायपालिका ने अपने दरवाजे बंद कर लिए हैं।
इसी लिस्ट में वामपंथियों की चहेती पत्रकार बरखा दत्त भी शामिल हैं जिन्होंने बुलडोजर की कार्रवाई को विचित्र बताया है. और कहा कि ठीक इसी तरह भारतीय न्यायालयों को भी ध्वस्त किया जा सकता है।
ऐसा लगता है भारत के सभी कोर्ट और जज
कुँभकरणी नींद सो रहे हैं— Sakshi Joshi (@sakshijoshii) April 11, 2022
If you’re going to use bulldozers against the homes of the accused, you may as well start with demolishing the courts right ? The Madhya Pradesh reports are beyond bizarre – how is this legal ? #khargone
— barkha dutt (@BDUTT) April 11, 2022
द वायर की पत्रकार आरफा खानम शेरवानी उपद्रवियों के घर पर चलाए गए बुलडोजर से नाराज होकर लिखती हैं कि ये बुलडोजर सिर्फ मुसलमानों के घर तक नहीं रुकेगा , सबका नंबर आएगा। आरफा पूछती हैं, “किस कानून के तहत मुस्लिमों के घर खरगोन में गिराए जा रहे हैं? किस कानून ने ऐसा करने का अधिकार दिया है? क्या कोर्ट अब इस भारत में काम कर रहे हैं?”
Under which law the houses of Muslims are being demolished in Khargone of Madhya Pradesh ?
Which court of law has authorized this ?
Are courts still functioning in India ?— Arfa Khanum Sherwani (@khanumarfa) April 11, 2022
यहां तो हम आपको कुछ ही उदाहरण बता रहे हैं कि कैसे वामपंथी जले-भुने पड़े हैं. जिस तरह से रानवनमी के दिन झारखंड, एमपी और बंगाल में शोभायात्रा को निशाना बनाकर हिंसा भड़काने की कोशिश की गई उससे साफ दिखता है कि हिंदू त्योहारों के लिए और हिंदुओं के लिए इन लोगों के मन में कितना जहर घुला हुआ है.
जाहिर है एजेंडे को चलाने की होड़ में इनमें से किसी ने तथ्यों को जानने की कोशिश नहीं कि. लेकिन इनके लिए ये जानना जरुरी है कि खरगोन प्रशासन ने सिर्फ मुसलमानों की संपत्ति को ही ध्वस्त नहीं किया है. खरगोन के तालाब चौक इलाके में सरकार ने 12 दुकानों पर बुलडोजर चलाया था जिनमें से 8 मुसलमानों के थे और 4 हिंदुओं के भी थे। लेकिन ये इनको कहां दिखाई देगा इन्हें तो सिर्फ अपने प्रोपेगेंडा से मतलब है.
ये वामपंथी आये दिन हिंदू और हिंदुओं के आराध्य को लेकर समाज में जहर फैलाते दिखाई देते हैं। सनातन धर्म को मानने वाले हिंदु हर साल धूमधाम से पर्व-त्योंहार मनाते हैं लेकिन सवाल ये कि हिंदुओं के पर्व के समय ही दंगे और अराजकता क्यों फैलायी जाती है ?
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