राज्य के हिंदुओं को ‘अल्पसंख्यक होने का दर्जा’ मिलने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में प्रविष्ट जनहित याचिका पर केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि, ‘राज्य सरकारों’ को यह निश्‍चित करने का अधिकार दिया है कि ‘अल्पसंख्यक कौन है ?’ उसके अनुसार कुछ प्रतिशत हिंदुओं को उन राज्यों में यदि अल्पसंख्यक होने का दर्जा मिल भी जाएतब भी हिंदुओं को उसका कोई उपयोग नहीं होगाक्योंकि मुसलमानों का ‘अल्पसंख्यक दर्जा निरस्त नहीं होगा । अल्पसंख्यक गुट के पारसीसिखजैनयहूदी आदि समाज की तुलना में मुसलमानों को ही अल्पसंख्यक मंत्रालय की अधिकांश निधि और सर्व योजनाओं एवं सुविधाओं का लाभ मिल रहा है । इसलिए अल्पसंख्यक होकर भी हिन्दुओं को उसका विशेष लाभ नहीं होगा । उसकी अपेक्षा हिन्दुओं को ‘बहुसंख्यक होने का दर्जा’ लेकर संपूर्ण भारत में हिन्दू राष्ट्र की मांग करना अधिक उचित होगाऐसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीरमेश शिंदे ने किया है । वे हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित ‘ हिंदुओं  के लिए अल्पसंख्यक दर्जा – कितना लाभदायक ?’ इस ‘ऑनलाइन’ विशेष संवाद में बोल रहे थे ।

      श्रीशिंदे ने आगे कहा किअल्पसंख्यक होने की मांग करने पर हिन्दू पुनः ‘हिन्दू राष्ट्र’ की मांग नहीं कर पाएंगे । क्योंकि अल्पसंख्यक समाज की बात कौन मानेगा इंग्लैंड में ऊपरी सभागृह में 22 बिशप बैठते हैं । वे उनके धर्म के विरोध में एक भी कानून नहीं बनने देते । प्रत्येक देश बहुसंख्यकों का हित देखता हैपरंतु भारत में ‘सेक्युलर’ शब्द लाकर बहुसंख्यक हिन्दुओं के सर्व अधिकार छीन लिए गए हैं ।

      इस समय सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता अश्‍विनी उपाध्याय ने कहा किपाकिस्तानबांग्लादेश इन मुस्लिम देशों में ‘शरिया’ कानून के अनुसार सर्व कारोबार चलता है और वहां हिन्दूसिखों की जनसंख्या घटती जा रही है । वहां हिंदुओं को अल्पसंख्यक दर्जा मिलना चाहिए । इसके विपरीत भारत ‘सेक्युलर’ घोषित होते हुए भी केवल मुसलमानईसाइयों को ही अल्पसंख्यक होने का दर्जा क्यों वर्ष 2002 में सर्वोच्च न्यायालय के एक निर्णय में कहा गया है किराष्ट्रीय स्तर पर कोई बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक नहीं होगा । भारत में जो समुदाय साधारणत: 200 सांसदएक हजार विधायक और हजार स्थानीय जनप्रतिनिधि चुनकर ला सकता हैवह समुदाय अल्पसंख्यक कैसे हो सकता है ?

      सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता उमेश शर्मा ने कहा किमुसलमान और ईसाइयों को अल्पसंख्यक कहकर विशेष सुविधाएं देकर हिन्दुओं के साथ विश्वासघात किया जा रहा है । अल्पसंख्यक दर्जा मुसलमानों के तुष्टीकरण के लिए है । संविधान के अनुच्छेद 14 के अनुसार सभी को समान अधिकार होने के कारण विशिष्ट समुदाय को विशेष सुविधा देना बंद करना चाहिए ।

रमेश शिंदे,
राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.