महाराष्ट्र की सत्ता हासिल करने के लिए बाला साहेब ठाकरे की शिवसेना कितनी बदल गयी है ये बताने की जरुरत नहीं है . एक समय था जब महाराष्ट्र में हिन्दू ह्रदय सम्राट बाला साहब ठाकरे का बोलबाला था। ये वो बाल ठाकरे थे जो हिंदुओं के लिए सत्ता तक त्यागने के लिए भी तैयार रहते थे, लेकिन आज सत्ता के लालच में उनके सुपुत्र उद्धव ठाकरे ने उनकी सियासी धरोहर को मिट्टी में मिला दिया है और कांग्रेस और NCP के हाथों की कठपुतली बनकर महाराष्ट्र की सत्ता पर राज कर रही है.  हाल के दिनों में शिवसेना अपने गलत बयानों की वजह से काफी चर्चा में है। खास कर हिंदु विरोधी बयानों को लेकर तो शिवसेना के नेता कुछ ज्यादा ही आगे निकल गये हैं.

दरअसल, हनुमान जयंती के जुलूस के दौरान जहांगीरपुरी में जैसे ही दंगे शुरू हुए दिल्ली एक बार फिर हिंसा की चपेट में आ गई। घटना के बाद शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने जहांगीरपुरी की घटना पर जहां चिंता जताई वहीं उनके बयान ने एक बार फिर शिवसेना के छद्म ‘धर्मनिरपेक्षता’ का पर्दाफाश कर दिया है। जिसके बाद शिवसेना को कई आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ रहा है।

शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने जहांगीरपुरी मामले पर मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि ‘देश की हालत और माहौल राजनीतिक फायदे के लिए खराब करने जा रहे हो। यह देश के लिए ठीक नहीं है। इससे पहले कभी भी राम नवमी और हनुमान जयंती के जुलूस पर हमला नहीं हुआ है। जुलूस निकालना लोगों का हक है। यह हमले प्रायोजित हैं, राजनीतिक फायदे के लिए ऐसा किया जा रहा है।’ उन्होंने शोभा यात्रा पर पथराव की घटनाओं को राजनीतिक प्रायोजित कार्यक्रम बताया और कहा कि चुनावों में राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए जानबूझकर देश का माहौल खराब किया जा रहा है।

संजय राउत इन दिनों कुछ ज्यादा ही बड़बोले होते जा रहे हैं कि जिसकी वजह से अब सत्ता के मोह में उन्हें हिंदुओं का दर्द और उनकी पीड़ा दिखाई ही नहीं देती. राउत ने अप्रत्यक्ष रूप से बीजेपी पर हिंदू-मुस्लिम दंगे भड़काने का आरोप लगाया।

जाहिर है आज अगर बाल ठाकरे जी जिंदा होते तो शिवसेना का यह हाल नहीं हुआ होता। विडंबना देखिए जिन बाला साहेब ठाकरे अपने फायरब्रांड हिंदुत्व के मुद्दे को आगे बढ़ाने के लिए शिवसेना की स्थापना की थी, उन्हीं के बेटे उद्धव ठाकरे ने कथित धर्मनिरपेक्ष पार्टियों के साथ गठबंधन कर अपनी हिंदुत्व की विचारधारा की बलि दे दी. ये कहना गलत नहीं होगा कि उद्धव ठाकरे और पार्टी के मौजूदा नेता बाल ठाकरे की हिंदुत्ववादी विरासत को छोड़ चुके हैं। सियासी फायदे के लिए पार्टी और उनके प्रमुख नेताओं जैसे संजय राउत ने ‘धर्मनिरपेक्ष’ होने के लिए सारी हदें पार कर दी है। हालांकि, अब इनका दोहरा चरित्र धीरे-धीरे सामने आ रहा है . हाल के दिनों में संजय राउत के हिंदु विरोधी बयानों से यह साफ़ हो गया कि अब ये वो शिवसेना नहीं रही जिसकी नींव हिन्दू ह्रदय सम्राट कहे जाने वाले शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे ने रखी थी।

 

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