जिस किसान आंदोलन में किसानों के मुद्दे को छोड़कर सभी चीज़ों पर चर्चा हो रही थी वो आंदोलन तो आपको याद ही होगा कि कैसे बीच सड़क पर तंबू लगाकर, ट्रैफिक रोककर सरकार के खिलाफ झूठा एजेंडा चलाया गया था. कहने को तो सड़कों पर बैठे प्रदर्शनकारी किसानों के अधिकार के लिए लड़ रहे थे लेकिन धीरे-धीरे सारी असलियत देश के सामने आ गयी. किसान आंदोलन के पीछे का उद्देश्य सिर्फ अराजकता के बल पर केंद्र सरकार को डरा धमकाकर कानून वापस लेने पर मजबूर करना था और कुछ नहीं ।

इसी किसान आंदोलन के जरिये अपनी राजनीतिक जमीन तैयार करने वाले राकेश टिकैट को एक बड़ा धक्का लगा है. भारतीय किसान यूनियन में दरार की खबर है. यूनियन के एक धड़े ने संगठन के विभाजन का दावा करते हुए कहा है कि दोनों भाइयों राकेश टिकैत और नरेश टिकैत को हटाते हुए BKU का नया प्रमुख राजेश चौहान को बनाया गया है. नया संगठन भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के नाम से काम करेगा, जिसके अध्यक्ष राजेश सिंह चौहान होंगे ।

राकेश टिकैत ने कहा कि ये सब कुछ सरकार के इशारे पर हुआ है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राकेश टिकैत ने BKU में टूट पर बात रखते हुए कहा, ‘हमने मनाने की कोशिश की थी। मैं लखनऊ भी गया था। राजेश सिंह मान भी गए थे, पर लगता है कि ज्यादा प्रेशर था। सरकार अपनी मंशा में कामयाब हो गई। ये सब कुछ सरकार के इशारे पर हुआ है। कुछ लोगों के जाने से संगठन पर असर नहीं पड़ेगा।

टिकैत का कहना है कि इसके पीछे सरकार है। सरकार ने नोटिस से डरा दिया। पहले भी हमारे संगठन से कई लोग बाहर जा चुके हैं, यूपी में ही भारतीय किसान यूनियन से टूटकर 8-10 संगठन बन चुके हैं। राकेश टिकैत ने कहा कि लखनऊ में जो हमारा कार्यालय है उस पर एक से दो करोड़ रुपए का बिल बन गया था, लगता है सरकार ने नोटिस से डरा दिया। उन्होंने कहा कि मैं किसी के खिलाफ कुछ नहीं बोलूंगा, क्योंकि कई लोगों के साथ मैंने सालों से काम किया है।

 

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