अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा होने के बाद से महिलाओं की स्थिति दिन ब दिन बद से बदतर होती जा रही है. वैसे तो तालिबान महिलाओं के खिलाफ कई आदेश जारी कर चुका है लेकिन हाल ही में उसने जो आदेश जारी किया है उसके मुताबिक अफगानिस्तान में महिला News Anchors को कार्यक्रम के प्रसारण के दौरान अपना चेहरा ढ़कना पड़ेगा । तालिबान सरकार एक के बाद एक ऐसे हुक्म जारी कर रही है जिससे महिलाओं के सपनों, उनकी उम्मीदें खत्म होती जा रही है। दुनिया में अफगानिस्तान के अलावा शायद ही इस समय कोई ऐसा देश होगा जो आधी आबादी की खुशियों को कुचल रहा है ।
लेकिन विडंबना देखिए भारत में लेफ्ट इस्लामिक फेमिनिस्ट पर बड़ी-बड़ी बातें करने वाले, बड़ी-बड़ी कविताएं सुनाने वाले, हिजाब की खूबियां बताते हैं उन्हें अफगानिस्तान में बुर्के के अंदर घुटती महिलाओं की पीड़ा उनका दर्द नहीं दिखता है. बुद्धिजिवियों के खेमे में गजब की शांति छा जाती है. दरअसल वे मुस्लिम शासकों को ही महान बताने में व्यस्त हैं. लेफ्ट गुलाम फेमिनिस्ट इस पर एक शब्द नहीं बोलते हैं कि किस तरह से ISIS के आतंकियों ने यजीदी लड़कियों को न सिर्फ सेक्स स्लेव बनाया था, बल्कि जुल्म की सारी सीमाएं पार कर दी थी.
अफगानिस्तान तो दूर की बात है इन कथित फेमिनिस्टों को तो कश्मीर की गिरिजा टिक्कू पर हुए जुल्म भी नहीं दिखाए दिए. इसके पीछे का कारण था गिरिजा टिक्कू का हिन्दू होना. इसलिए कश्मीरी पंडित महिलाओं के लिए उनका कलेजा उस तरह नहीं कांपता है. हाल ही में ट्वीटर पर ईराक की एक सांसद ने एक यजीदी पीड़िता की कहानी साझा की थी जिसमें उन्होंने बताया था कि कैसे एक यजीदी महिला को उसके एक साल के मासूम बेटे को ही पकाकर खिला दिया गया था। बावजूद इसके मजाल है जो हमारे देश के एक भी लेफ्ट इस्लामिक फेमिनिस्ट लेखिकाओं ने इसके लिए आवाज उठायी हो . लेफ्ट फेमिनिस्ट ब्रिगेड की आवाज आपको तब सुनायी देगी जब कर्नाटक में बुर्के का समर्थन करना हो, हिजाब गर्ल मुस्कान को इंटरनेशनल लेवल पर मशहूर करना हो. हिजाब की आड़ में इस्लामी कट्टरता को और बढ़ावा देना हो । इधर सोशल मीडिया पर न्यूज एंकर्स से लेकर बच्चों की बुर्के वाली तस्वीरें ट्वीट की जा रही है जिसमें साफ लिखा जा रहा है छोटी-छोटी बच्चियों को बुर्का पहनाकर स्कूल पढ़ने के लिए भेजा रहा है.
"The burkha is mine- the decision my father's. My life an offering to cult of Sharia" I get exasperated with all these Burkha apologists. Burkha/hijab/chador is a symbol of Islamists worldwide from Iran to Kashmir. Today I see 5 year old girls wearing hijab. Choice? pic.twitter.com/pVqr9Rc9pV
— Sunanda Vashisht (@sunandavashisht) May 24, 2022
भारत में बैठा लेफ्ट इस्लामिस्ट फेमिनिस्ट वर्ग कट्टर मुस्लिम संगठन तालिबान द्वारा उन्हीं की औरतों पर किए जा रहे जुल्म के खिलाफ अपने मुंह पर फेवीकॉल लगा कर बैठा है. इस खेमे के लोग भारत में ही रहकर भारत के खिलाफ, हिन्दू धर्म के खिलाफ लगातार जहर उगलते का काम करते हैं.
बहरहाल, अफगानिस्तान में महिलाएं जो दर्द और पीड़ा झेल रही हैं उनसे सिर्फ और सिर्फ ईश्वर ही उन्हें बचा सकता है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र या किसी और देश से मदद की उम्मीद बेमानी है…
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