बिहार में शिक्षा व्यवस्था धीरे-धीरे खोखली होती जा रही है. क्योंकि सरकार के मेनिफेस्टो में शिक्षा आखिरी पायदान पर है. वैसे शिक्षा व्यवस्था का पोस्टमार्टम कभी और करेंगे. लेकिन आज बात उस वीडियो की जो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है. ये वीडियो लखीसराय जिले के बाल्गुदार का है जहां प्राइमरी स्कूल के एक शिक्षक ने कुर्ता-पजामा क्या पहन लिया मानो उन्होंने कोई अपराध कर दिया हो, किसी नियम का उल्लंघन कर दिया हो. प्राइमरी स्कूल के शिक्षक को कुर्ता-पजामा और गमछे में देख कर डीएम साहब इतना भड़क उठे कि शायद अपनी शब्दों की मर्यादा भी भूल गये. एक शिक्षक के साथ उनके छात्रों के सामने जिस लहजे में वे बात कर रहे हैं वो इतने बड़े अफसर को बिल्कुल भी शोभा नहीं देती.

उन्होंने प्रधानाध्यपक से कहा कि ‘आप शिक्षक हैं या नेता’ ? डीएम साहब का गुस्सा इतने पर ही शांत नहीं हुआ उन्होंने पूरा माहौल टाइट करते हुए प्रधानाध्यपक को सस्पेंड करने का आदेश दे दिया।

वायरल वीडियो में डीएम संजय सिंह प्रधानाध्यापक के कपड़ों पर सवाल उठाते उन्हें फटकारते हुए कहते हैं कि ‘किस रूप में आप शिक्षक लग रहे हैं। हमको तो लगा कि आप स्थानीय जनप्रतिनिधि हैं। इसके जवाब में हेडमास्टर कह रह हैं कि सर ऐसा नहीं है। डीएम फिर सवाल करते हैं कि शिक्षक हैं आप? अपने आपको इस वेशभूषा में रखे हैं, अगर शिक्षक हैं तो ऐसी वेशभूषा में खुद को मत रखिए। इस दौरान डीएम संबंधित अधिकारी को फोन लगाते हुए कहते हैं कि यहां के हेडमास्टर कैसे हैं। यह हमारे सामने कुर्ता-पजामा पहनकर बैठे हुए हैं। इनको देख कर लगता ही नहीं कि यह बच्चों को पढ़ाते होंगे।‘

बिहार के सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता कैसी है इसकी तस्वीरें सामने आती रहती है. कुछ दिनों पहले बिहार के एक स्कूल में शिक्षिका क्लासरूम में बड़े ही आराम से कुम्भकर्णी नींद लेती हुई नजर आ रही थी और एक छात्रा टीचर को पंखे से हवा कर रही है।

कुल मिलाकर देखा जाए तो बिहार का पूरा शिक्षातंत्र ही सो रहा है. लेकिन बिहार में खोखली शिक्षा व्यवस्था के बीच सवाल ये कि क्या एक शिक्षक के विचार और ज्ञान का आकलन उनके वेष-भूषा से होनी चाहिए ? क्या बड़े-बड़े अधिकारी और बड़े नेताओं ने सूटबुट वाले वाले टीचरों से ही पढ़ाई कर यहां तक पहुंचे हैं ?

हमारे भारतीय परिधान और हमारी संस्कृति का पूरी दुनिया सम्मान करती है. हमारे संसद में हमारे माननीय कुर्ता-पजामा पहनते हैं, इसी परिधान को हम हमारे कर्मकांडों और रीति-रिवाजों में पहनते हैं. तो फिर बिहार के डीएम साहब को कुर्ते-पजामे से इतनी दिक्कत क्यों ?

 

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