कश्मीर घाटी में रहने वाले हिंदु हर पल खतरे के साये में जी रहा है. जहां 1990 के दशक वाली साजिश दोहराने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। जहां कश्मीरी पंडित फिर उसी कट्टरता और आतंकवाद का शिकार हो रहे हैं जो 1990 के दौरान घटी थी. इसी कड़ी में आतंकवादियों ने शोपियां में दो कश्मीरी पंडित भाइयों को निशाना बनाया है। आतंकियों ने पहले नाम पूछा, उसके बाद अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं। इस दौरान सुनील कुमार भट्ट की मौत हो गई। वहीं, उनके भाई पिंटू कुमार गंभीर रूप से घायल हुए हैं जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक शोपियां में सुनील भट्ट अपने भाई पिंटू कुमार के साथ अपने सेब के बागान जा रहे थे। छोटेपोरा इलाके में आतंकियों ने उनसे नाम पूछा, जैसे ही उन्होंने अपना नाम बताया, आरोपियों ने उन पर फायरिंग कर दी। गोली लगने से सुनील कुमार भट्ट की मौत हो गई है वे चार बेटियों के पिता थे।
जम्मू और कश्मीर: शोपियां के छोटेपोरा इलाके में एक सेब के बाग में आतंकियों ने लोगों पर गोलीबारी की जिसमें एक व्यक्ति की मृत्यु हुई।
घटना में एक व्यक्ति घायल हुआ है। पुलिस के अनुसार मृतक और घायल दोनों ही अल्पसंख्यक समुदाय के हैं। pic.twitter.com/3tbyNmp3Kp
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 16, 2022
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने ट्वीट कर यह जानकारी दी कि “शोपियां के छोटेपोरा इलाके में एक सेब के बाग में आतंकियों ने नागरिकों पर फायरिंग की। एक व्यक्ति की मौत हो गई और एक घायल हो गया। दोनों अल्पसंख्यक समुदाय से हैं। घायल व्यक्ति को अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया है।”
#Terrorists fired upon civilians in an apple orchard in Chotipora area of #Shopian. One person died and one injured. Both belong to minority community. Injured person has been shifted to hospital. Area #cordoned off. Further details shall follow.@JmuKmrPolice
— Kashmir Zone Police (@KashmirPolice) August 16, 2022
वहीं आईजीपी कश्मीर ने कहा है कि महिलाओं और बच्चों, निहत्थे पुलिसकर्मियों और बाहरी मजदूरों सहित निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाकर, आतंकवादी घाटी में शांति लाने के हमारे प्रयासों को नहीं रोक सकते। कश्मीर के सभी 3 क्षेत्रों में विशेष रूप से विदेशी आतंकवादियों के खिलाफ हमारे सीटी ऑपरेशन एक साथ जारी रहेंगे।
By targeting innocent civilians including women & kids, unarmed policemen & outside labourers, terrorists can’t deter our efforts to bring peace in valley. Our CT operations will continue simultaneously in all 3 regions of Kashmir specially against foreign terrorists: IGP Kashmir
— Kashmir Zone Police (@KashmirPolice) June 19, 2022
वहीं जम्मू-कश्मीर बीजेपी अध्यक्ष रविंदर रैना ने हमले की निंदा करते हुे कहा कि कायर पाकिस्तानी आतंकवादियों ने अल्पसंख्यक हिंदुओं को निशाना बनाया और दो कश्मीरी हिंदू भाइयों- सुनील कुमार और पिंटू की हत्या की। पाकिस्तान कश्मीर में खूनखराबा चाहता है। पाकिस्तानी आतंकी कश्मीर के लोगों के दुश्मन हैं
कायर पाकिस्तानी आतंकवादियों ने अल्पसंख्यक हिंदुओं को निशाना बनाया और दो कश्मीरी हिंदू भाइयों- सुनील कुमार और पिंटू की हत्या की। पाकिस्तान कश्मीर में खूनखराबा चाहता है। पाकिस्तानी आतंकी कश्मीर के लोगों के दुश्मन हैं: जम्मू-कश्मीर BJP अध्यक्ष रविंदर रैना pic.twitter.com/OszY8BfLns
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 16, 2022
भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक ISI कश्मीरी लोगों के बीच ये प्रोपेगेंडा फैला रही है कि आर्टिकल 370 हटने के बाद बाहर से आने वाले प्रवासी कामगार उनकी नौकरियां और जमीनों पर कब्जा जमा लेंगे। इस दुष्प्रचार के जरिए वह कश्मीर में पाक समर्थक आतंकी संगठनों के लिए फिर से समर्थन जुटाने की कोशिशों में लगा है। एक्सपर्ट्स की मानें तो इन टारगेटेड किलिंग्स के जरिए आतंकियों का एक मकसद घाटी में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना है। आर्टिकल 370 हटने के बाद आतंकियों के खिलाफ भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की कार्रवाई ने कश्मीर में उन्हें कमजोर बना दिया है।
बता दें आपको इसी साल मई-जून में टारगेट किलिंग के सबसे ज्यादा मामले सामने आए थे। 7 मई से 3 जून के बीच 9 लोगों की हत्या कर दी गई थी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2022 में टारगेट किलिंग के 16 मामले सामने आए। पुलिस का मानना है कि हताश आंतकियों ने अपनी रणनीति बदल दी है और अब वे अल्पसंख्यकों, निहत्थे पुलिसकर्मियों, मासूम नागरिकों, राजनेताओं और महिलाओं को निशाना बना रहे हैं।
सवाल ये कि आखिर कब तक कश्मीरी पंडितों की हत्या देश में होती रहेगी ? इधर कुछ महीनों से 90 के दशक वाली डरावनी तस्वीर कश्मीर से सामने आ रही है वो वाकई सरकार और पुलिस प्रशासन दोनों के लिए चुनौती है. अगर सरकार ने समय रहते कश्मीरी पंडितों को सुरक्षा मुहैया नहीं करायी तो फिर वो दिन दूर नहीं जब एक बार फिर कश्मीर और कश्मीरी पंडित 90 के दशक वाली पीड़ा और दर्द झेलने को मजबूर हो जाएंगे !
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