‘विनाश काले विपरीत बुद्धि’ जिसका अर्थ है विनाशकाल में बुद्धि नष्ट हो जाती है। यह संस्कृत की प्रसिद्ध कहावत है। ये कहावत इन दिनों बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर खूब जम रही है. दरअसल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हाल के दिनों में विशेष समुदाय को खुश करने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं. इसके तहत उन्होंने कई ऐसे निर्णय लिए हैं, जिसमें किसी एक समुदाय को टारगेट करने की कोशिश कि गयी है।
एक बार फिर नीतीश कुमार पर हिंदुओं की आस्था से खिलावड़ करने का आरोप लगा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बिहार के गया जिले के दौरे के दौरान नीतीश कुमार विष्णु पद देवी मंदिर में पूजा करने गए थे। इस मंदिर के बाहर साफ लिखा हुआ था कि “इसमें गैर-हिंदुओं का प्रवेश वर्जित है”। बावजूद इस नोटिस के नीतीश अपने साथ बिहार के सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री मोहम्मद इसरायल मंसूरी को लेकर मंदिर में प्रवेश कर गए । मंदिर से जुड़े पंडा समाज और हिंदुओं में इसे लेकर काफी गुस्सा है। रिपोर्ट के मुताबिक प्रबंधकारिणी समिति के अध्यक्ष शंभु लाल बिठ्ठल ने भगवान विष्णु से क्षमा मांगी, पहले गर्भगृह को गंगा जल से धोया फिर भगवान को भोग लगाया गया।
वहीं मंदिर से लौटने के बाद मंत्री मोहम्मद इसराइल मंसूरी ने मीडिया से बात करते हुए अपनी खुशी जाहिर की और बोले, “मेरा संजोग है, सौभाग्य है कि मुझे सीएम नीतीश कुमार के साथ विष्णु पद मंदिर के गर्भ गृह का दर्शन करने का भी मौका मिला।” वहीं हिंदू यह सुन भड़क गए।
भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक मंदिर समिति के अध्यक्ष ने बताया कि मुस्लिम को प्रवेश कराकर मंदिर की सदियों पुरानी परंपरा तोड़ी गई है। उन लोगों को इस बात का बिलकुल अंदाजा नहीं था कि सीएम के साथ कोई एक ऐसा मंत्री है जो मुस्लिम है। ऐसी बड़ी गलती के लिए वह न सिर्फ भगवान से क्षमा मांग रहे हैं बल्कि समाज के लोगों से भी भी क्षमा मांग रहे हैं। उनका कहना है कि इस घटना से हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंची है।
बता दें आपको सीएम नीतीश के साथ मुख्य सचिव आमिर सुहानी भी गए थे, लेकिन सुहानी को इस बात की जानकारी थी कि मंदिर में गैर हिंदू प्रवेश नहीं कर सकते, इसलिए वे वहीं बाहर रुक गए।
दरअसल जब बिहार में जेडीयू-बीजेपी की सरकार थी उसी समय से नीतीश कुमार पर हिंदुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगता रहा है. जिसके तहत नीतीश कुमार ने निजी हिंदू मंदिरों पर टैक्स लगाया था , जिसके अंतर्गत आपको पूजा करने पर भी टैक्स देना होगा। वहीं ठीक इसके कुछ ही दिन बाद गया जिला में ही जहां हिन्दू धर्म के लोग अपने पितरों का पिंड दान करने जाते हैं, उनसे टैक्स वसूलने का आदेश दे दिया था जिसके बाद हिन्दू समाज बौखला उठा था.
अब यहां सवाल नीतीश कुमार से पूछना ये बनता है कि एक हिंदु होने के नाते वो एक मुसलमान को मंदिर के अंदर क्यों ले गए वो भी तब जब बड़े-बड़े अक्षरों में साफ लिखा है कि “मंदिर में गैर-हिंदुओं का प्रवेश वर्जित है”
नीतीश कुमार हमेशा से विशेष समुदाय के लोगों के हितैषी रहे हैं और हिंदु और हिंदु धर्म के प्रति उनकी मानसिकता क्या है इसे आसानी से समझा जा सकता है !
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