ISIS और लश्कर की जुबान में आतंकियों को शहीद कहा जाता है

NDTV की तरह अब आज तक में भी इस्लामिक आतंकियों को मरने पर शहीद लिखा जाने लगा हैं क्या? शोपियां में सेना द्वारा कुत्ते की मौत मारे गए तीन जाहिलों के बारे में आजतक की कवरेज देखें तो कुछ ऐसा ही लगता हैं।

आजतक ने सीधे सीधे इन आतंकवादियों के लिए वो ही भाषा इस्तेमाल की है जो ISIS या लश्कर के लोग करते हैं।

उल्लेखनीय हैं कि देश के मीडिया में एक वर्ग ऐसा भी है जो इस्लामिक आतंक का परोक्ष अपरोक्ष समर्थन करता हैं और उन्हें बचाने या महिमामंडन करने का काम करता हैं। आतंकियों को मासूम या हेडमास्टर का बेटा बताना इसी तरह की पत्रकारिता का नमूना हैं।

पिछले दिनों NDTV के दफ्तर से एक फोटो वायरल हुई थी जिससे खुलासा हुआ कि NDTV का सीनियर पत्रकार ओसामा बिन लादेन की फ़ोटो अपनी टेबल पर रखकर काम करता हैं।

आजतक की गिरती हुई TRP के बाद अब इस प्रकार की पत्रकारिता कहीं आजतक को भी NDTV ना बना दें। दुनिया के किसी भी स्वाभिमानी देश में मीडिया कभी भी आतंकवादियों को शहीद नहीं लिखेगी।

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