अगर तुम्हें अब रोज़ ये सीखने समझने की जरूरत है कि ,कम से कम उन नाम और चरित्रों जो सनातन का गौरव रहे हैं को देखने दिखाने समझाने से पहले उनके प्रति किसी भी तरह का उपहास ,संशय , हास नहीं होना चाहिए | इतना परहेज़ तो रखा ही जाना चाहिए |
ये ,और यही तो इस सनानत समाज की खूबी है की गलत करने पर करने वाले को इसलिए नहीं सर पर चढ़ा लेता कि नहीं इसने तो तिलक धारा हुआ है या इसलिए भी नहीं कि हर वक्त देश की विपदा आपदा के समय खड़ा मिला है तो क्या ? माँ लक्ष्मी के नाम और बड़ी बिंदी लाल चूड़ियों की दैवीय छवि के उपयोग का यही सबसे आसान और बेहतर विकल्प ,क्यूँ ?
सिर्फ एक कार्टून भर दिखा देने से बार बार जाने कितने लोगों का क़त्ल कर दिया जाता है और यहां सनातन के उपहास ,अपमान बार बार तिरस्कार करने के बावजूद करने वालों से कुछ पूछ देना ही अपराध हो गया , क्या कहने |
दो बातें समझने वाली हैं , सनातन , हिन्दू , राष्ट्र , तिरंगे ,फ़ौज , श्री राम ये सब वो आधार हैं जिन पर हिन्दुस्तान का अस्तित्व है तो यदि कोई भी , कोई भी इन सब पर ऊँगली उठाने का ज़रा सा भी दुःसाहस करेगा तो अब ये नया भारत है , उसे समझ लेना चाहिए कि ,ये अब फैसले लेता है ,सवाल करता है | नेक करने पर नायक और नीयत में खोट तो सीन से गायब |
स्टैंड अप करना है ,चलो हिन्दू देवी देवताओं का मजाक उड़ा लेंगे , मॉडर्न लगना है या दुनिया को ऐसा दिखाना है तो , तो फिर क्या , किसी सनातन परम्परा ,व्रत , त्यौहार , पहनावे को ही मजाक का पात्र बना देंगे , फिल्मे , गीत , डायलॉग , वेब धारावाहिक , रिएल्टी शो , कॉलेज यूनिवर्सिटी तक में भी जिस जिस में जहां जहां मौक़ा मिले सनातन को निशाना बनाना जरूर है |
और पलट के वो कुछ बोल दे तो फिर असहिष्णुता गैंग वालों निकालो अपने आलमारी से वो पुरस्कारों वाली फाइलें , धर लो उन्हें काँधे पर ,महामहिम जी से कहेंगे कि हाकिम जनता को रोका जाए , ये तो बागी होकर भगत , आजाद , सुभाष हो रही है लेकिन बकौल संविधान सिर्फ और सिर्फ गाँधी होना अलाउड है सर जी |
इतने दिनों इतने सालों तक जो होता रहा है होते देने जाते रहा दिया वो अब नहीं होगा , क्यूंकि अब लोग बाग़ कतई इस मूड में नहीं हैं कि असल में तो दुनिया भर में अपने पेट में बम से लेकर टाईम बम लिए घूमे तो आयशा ,फातिमा , जमीला , सकीना मगर जब फिल्म बनाने दिखाने की बात आई तो फट्ट गई इतनी कि तुरंत ही “लक्ष्मी ” बम बना दिया |
अरे अहमकों तस्वीर ही देख लेते माँ की , कौन से नज़र और नज़रिये से इसमें तुम्हें बम सा कुछ दिखा ?? तो इसलिए अब जो पब्लिक समझ गई और और तुम्हे समझाना चाह रही है उसे तुम भी समझ जाओ हे चरसियों | अपने इस वैचारिक दुराग्रह की कुश्ती से सनातन , परम्पराओं , राष्ट्र , प्रतीकों को बिलकुल भी छूने की कोशिश कभी मत करना , कभी भी नहीं |
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