हिन्दुओं के पूजनीय धार्मिक स्थलों में माँ वैष्णो देवी के नाम से कौन नहीं परिचित होगा | उत्तर भारतीयों के लिए तो हर शुभ काम से पहले बाद में माँ वैष्णों देवी के दरबार में जाकर आशीष लेना एक परम्परा सी बन गई है |
सिर्फ उत्तर भारत ही क्यों बल्कि देश और विदेश तक से हर साल सैलानी जम्मू कश्मीर स्थित माँ वैष्णो देवी के मंदिर में उनके दर्शन के लिए आते हैं | नवरात्रि के दिनों में तो माता के मंदिरों में वैसे भी दर्शनीय सजावट और सुंदरता देखने को मिलती है |
राजस्थान के अन्य सभी खूबसूरत शहरों में भी सिरमौर उदयपुर न सिर्फ अपनी स्वच्छता और झीलों पहाड़ियों और किलों से पूर्ण प्राकृतिक सौंदर्य के कारण जाना जाता है बल्कि हिन्दू बौद्ध जैन सहित जाने कितने ही धर्म और पंथ के लिए धार्मिक व् ऐतिहासिक नज़रिये से भी महत्वपूर्ण है
उदयपुर शहर के आखरी छोर पर , और फ़तेह सागर झील से भी तीन चार किलोमीटर समुद्र से 482 फुट की ऊचाई पर स्थित है उदयपुर की माँ वैष्णो देवी अर्थात नीमच माता का मंदिर |
उदयपुर शहर के बिलकुल आखरी छोर पर स्थित माँ नीमच माता का मंदिर बहुत ही शांत और प्रकृति की गोद में सुरगम्य स्थल के रूप में बनाया गया था | जैसा की सूचना पट्टिका पर भी अंकित है की मंदिर कम से कम 1687 से पूर्व का तो बना हुआ है ही यानी अब से लगभग 400 वर्ष पूर्व
नवरात्रि के समय को छोड़कर साल भर कभी भी जाने से आपको प्रतीक्षा करने वाली भीड़ नहीं मिलेगी | किन्तु अभी यानि नवरात्री दुर्गा पूजा में न सिर्फ उदयपुर बल्कि आसपास के शहरों से भी भक्त माँ नीमच के दर्शन और पूजन को आते हैं इसलिए थोड़ा सा विळम्ब भी लगता है | रास्ते में बच्चों के लिए अलग अलग तरह के हाथों के बने खिलौने और सजावट की वस्तुएं भी अलग से मन को मोह लेती हैं |
आप जब भी दुर्गापूजा /नवरात्रि के समय उदयपुर या उसके आसपास हों तो जरूर करें नीमच माता के दर्शन | बोले सांचे दरबार की जय
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