कभी कभी खुद पर इतना तरस आ जाता है कि क्या कहें , जैसे बचपन में पढ़ा लिखा सब कुछ एकदम सच जान पड़ता था , मसलन दे दी हमें आजादी बिना खड्ग बिना ढाल , कोई एक गाल पर चमाट मारे तुम दूसरा आगे कर दो , और ये वाला ढकोसला -मजहब नहीं सिखाता ,आपस में बैर करना |
हालाँकि असलियत में इसे खुद ही सीखने समझने की जरूरत है तो ,पहले खुद के तो पल्ले पड़ ले | आपस में -कहीं आपस में से ये तो कहीं कहना चाह रहे कि मुग़ल मुग़ल आपस में जुड़े और बाकी दुनिया से भिड़े रहो |
चलो एक मिनट के लिए बेनिफिट ऑफ़ डाउट देते हुए मान लेते हैं कि ,ये नहीं सिखाता | तो उससे , बात ख़त्म ,खुश हो गया मोगेम्बो | भाई मेरे अगर सिखाता नहीं तो फिर यकीनी तौर पर आकर मना क्यों नहीं करता , दहशतगर्दी को , आतंकवाद को , निर्दोष मासूम लोगों के कत्लेआम को और इस तरह की जेहादी सोच को |
उलटा जितने भी हैं छोटे बड़े हरे पीले नीले लाल मुग़ल सब के सब बारूद में चिंगारी लगाने को तैयार बैठे हैं | कहीं से कोई विरोध ,कोई असहमति , कोई अलग बात ,कोई रोकने टोकने की हिम्मत तक नहीं कर रहा |
कोई आगे आकर नहीं बोल रहा कि फ्रांस सहित दुनिया का कोई भी देश उन परिस्थितियों में वही फैसला लेगा जो न सिर्फ फ़्रांस ,सपेन ,आस्ट्रेलिया ,चीन और विश्व के अन्य मुगलिया आतंक से पीड़ित देश कर रहे हैं | बल्कि कहा जाए कि उतना तीव्र और उग्र प्रतिकार तो अभी कर भी नहीं रहे ,जितने की असल में दरकार है |
पूरी दुनिया से लेकर भारत तक में विरोध के नाम पर हिंसा ,आतंक, लूटपाट हत्याएं बलात्कार तक करने के लिए लाखों मुग़ल जिस तरह से सड़क पर आ जाते हैं /आ गए हैं और देश दुनिया के तमाम लिब्रान्डु , अपनी छद्म धर्मनिर्पेक्षता की मोमबत्ती लेकर घूमने वाले नए नए क्रांतिकारी ,तमाम बड़े मुगलिया अभिनेता , खिलाड़ी , व्यावसायिक और राजनेता जैसे फट्ट से अपने बुर्कों में जाकर बैठ जाते हैं वो सारी बातें खुद ही स्पष्ट कर देता है |
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