कहते हैं कि यदि सत्ता शासक पुलिस कचहरी ही अपनी मनमानी पर उतारू हो जाएं तो फिर तो भगवान ही मालिक |और ऐसे में जब देश विदेश के विख्यात चैनल और देश के सबसे अधिक ख्याति प्राप्त समाचार सम्पादक के साथ ऐसा व्यव्हार किया जा सकता है तो फिर साधारण व्यक्ति की तो बिसात ही क्या ??? फिलहाल मुम्बई पुलिस , राजनीति से प्रेरित होकर ठीक ऐसी ही है :-
अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी जिसे गिरफ्तारी कम , बदमाशी ज्यादा कहा जाए तो अनुचित नहीं होगा , उस पूरे घटनाक्रम पर कोई भी टिप्पणी करने से बेहतर है , ये देखा पढ़ा समझा जाए कि अदालत ने इस पूरे प्रकरण पर क्या पाया और कहा
यानि मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने अपने आदेश में बाकायदा लिख कर न सिर्फ सब कुछ प्रथम दृष्टया में खारिज कर दिया बल्कि इसी आधार पर , पुलिस को , 14 दिन की पुलिस हिरासत न देकर न्यायिक हिरासत का आदेश दिया | हालांकि पुलिस जो पहले से राजनेताओं के इशारों पर चल रही है उसने इस आदेश के विरूद्ध सत्र न्यायालय में अपील दायर कर दी है |
ये भी देखते चलें कि , चिंगम और चिम्बा बन कर फिरती पुलिस का व्यवहार एक व्यक्ति के साथ अपराधी जैसा और अपराधी के साथ कैसा रहता आया है ?
पिछले दिनों जिस प्रकार से एक के बाद एक ,महाराष्ट्र सरकार की नाकामियों , पुलिस प्रशासन और महाराष्ट्र सरकार को निशाने पर लेते अर्नब गोस्वामी की प्रखर पत्रकारिता , उग्र रुख और तीखे प्रश्नों के हमलों से बौखला कर देर सवेर अर्नब और उनके चैनल को निशाना बनाएगी ये भी कयास लगाए जा रहे थे ,बस पुलिस को भी उतनी ही देर लगी जितना उन्हें अपने प्लान को अंजाम देने के लिए समय चाहिए था |
इस पोस्ट के लिखे जाने तक , मुंबई उच्च न्यायालय में ,अर्नब की जमानत याचिका पर सुनवाई शुरू हो चुकी होगी और यदि सब कुछ अनुकूल रहा तो अर्नब बहुत जल्द फिर अपने चैनल पर आकर उसी अंदाज़ में दहाड़ेगे और फिर बाकी के naughty सब के सब एक साथ एकांतवास में चले जाएंगे |
यूँ भी आप सबने , किसी चैनल , समाचार ,पत्रिका आदि में भी अर्नब प्रकरण पर naughty सरकार के naughty प्रतिनिधियों या उनकी naughty पुलिस , किसी के पास भी इतनी हिम्मत देखी है कि वे आकर कहें , हाँ हमने किया ये काम और ये ठीक किया है आगे भी यही करेंगे |
फिलहाल अर्नब द्वारा दायर एक जनहित याचिका में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने न सिर्फ महाराष्ट्र सरकार को जम कर लताड़ लगाई है बलि महाराष्ट्र विधानसभा सचिव को भी नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर जवाब देने को तलब कर लिया है |
अगर कहीं उच्च न्यायालय से अर्नब की जमानत याचिका खारिज हुई तो मामला सीधा सर्वोच्च न्यायालय (जो पहले से महाराष्ट्र सरकार की अकर्मठता और मनमानी पर सख्त रुख दिखा चुकी है ,) उसके अधिकारिता में जाएगा जहां इन तमाम naughtyयों को “सामना ” करना मुश्किल हो जाएगा |
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