[कहानी का सार है: किसान Vs कांग्रेस]
एक गांव में गरीब किसान परिवार था उसी गांव में एक कांग्रेस रूपी नंबरदार भी रहता था।
किसान बहुत ही गरीब था इतना गरीब था कि एक दिन उसकी ग़रीबी ने किसान की जान लेली और किसने के परिवार पर दुखों का पहाड़ टुट पड़ा ये सब किसान की पत्नी सहन नहीं हुआ और वो जोर-जोर से रोने लगी किसान की पत्नी को रोता हुआ देखकर कांग्रेस रूपी नंबरदार वहां काफी लोगों को लेकर पहुंच गए और किसान कि पत्नी से बोला की आप क्यो रो रही हो तो किसान की पत्नी बोलीं की किसान एक घोड़ी लाया था अब उस पर कौन बैठेगा बस इतनी सी बात है ये तो बहुत ही मामूली बात है कांग्रेस रूपी नंबरदार ने कहा कि मेरा चीन बहुत ही अच्छा दोस्त है मैं इसी घोड़ी पर बैठकर उनसे मिलने चला जाता करूंगा और तेरी परेशानी भी कम हो जाएंगी गरीब किसान की पत्नी कुछ देर के लिए चुप हो गई कुछ देर बाद वो फिर रोने लगी तो फिर कांग्रेस रूपी नंबरदार बोला भी इस क्या हुआ गरीब किसान की पत्नी बोलीं की किसान एक रेडियो लाया था अब उसे कौन सुनेगा तो फिर कांग्रेस रूपी नंबरदार बोला मेरे पास बहुत ही आलीशान महल है उनमें ये रेडियो भी बजा लिया करेंगे गरीब किसान की पत्नी कुछ देर के लिए फिर चुप हो गई कुछ देर बाद वो फिर रोने लगी तो फिर कांग्रेस रूपी नंबरदार बोला की अब क्या बात होगी तो गरीब किसान की पत्नी बोलीं की किसान एक साहूकार के पास से 10.000 हज़ार रुपए लाया था कांग्रेस रूपी नंबरदार लोगों की और देखकर कहने लगा भाईयों दो काम की तो मैंने हामी भर दी एक काम की इन पैसों वाली बात की हामी तुम नहीं भर सकते क्या। (किसान आंदोलन के नाम से राजनीति कर रही है कांग्रेस) ये कहानी आपको कैसी लगी लाइक कमेंट अवश्य करें धन्यवाद।

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