देश में मानो कोई खेल चल रहा हो , एक रेस लगी हुई है , आओ सड़क सड़क खेलेंगे , थोड़े पराठे साथ ले लेंगे , कभी ख़ेती कभी रोटी के नाम पर राजनीति को सकेंगे। किसान आंदोलन , किसान और आंदोलन , इससे भला क्या शिकायत वो भी गाँव और किसान ,गाय ,गंगा वाले देश को ,मगर किसान का आंदोलन तो , खेत में होता देखा है , जंगल , नदी , पेड़ में देखा है ये सड़क पर किसान आंदोलन ,.

और पूरी चकाचक चकाचौंध में कब खुद यही भूल गए कि देश के बहुत सारे किसान परिवारों को शौचालय से लेकर रसोई के ईंधन तक और अभी अभी कोरोना जैसी महामारी में सबसे पहले उनके राशन की व्यवस्था को सुनिश्चित करने वाले उस व्यक्ति नहीं ,या किसी एक टीम नहीं पूरे भारत की अब जगी हुई सोच है। जिस नमो मन्त्र का शंखनाद हुआ है वो सनातनी संस्कार की एक सोई हुई महाशक्ति की हुंकार भर है। तो उस सोच में जब कि सिर्फ एक आवाज पर पूरे देश ने एक नहीं कई कई बार एक साथ वो शंखनाद किया है की जय भारत हो गया है फिर से एक बार।

ऐसी हॉट हीटर गीजर स्वीमिंग पूल ,ट्रैक्टर , वो बस दो चार करोड़ की गाड़ियों के दरवाजे को खोल कर बाहर एक हाहाकारी पोस्टर कई बार उलटा भी पकड़ कर वो घनघोर हठ किए बैठे हैं , कोई कह रहा है हाय हमाई सैंडर को बहुत ही गहरे षड्यंत्र के तहत उठा ले गए हैं नासा वाले , मतलब कुछ भी। एक दुग्गल सब बन गए , दूसरे वो दारु और झाड़ू मार्का ,डिमांड के हिसाब से कुछ भी बन कर देने की तैयार हैं , हवाई चप्पल से लेकर सवा लाख तक का मोबाइल का गजब का आम , जेनरल मतलब , आज सेवादार वाले रोल में दिखे थे एक दम , मन ही मन अंदर से उन 22 में से एक जो हर कोई खुद को मोदी जी से बेहतर बड़ा दावेदार मानता है आजकल , वो हमारा नौवीं फेल भी ,.

कोई एक करोड़ रुपए की रकम पंजाब की मिटटी में फ़ैल रहे रासायनिक उर्वरक के विष के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए नहीं ,वृक्ष और पशुधन के लिए भी नहीं और न ही तेज़ी से मादक पदार्थों की अंतहीन रुग्णता से ग्रस्त होते प्रदेश के युवाओं को इससे रोकने के लिए | दिए किसके लिए गए , आंदोलन के लिए , युवराज जिसके जीवन ज्योति एक एक पुंज के लिए करोड़ों भारतीयों ने दिन रात प्रार्थना की थी मौक़ा पड़ते ही बाऊबहादुर तो मूँछे फटकारते दो दो टके की बात उगल आए।

काश कि ये जज्बा आपने तब इस कांग्रेस के और इनके कप्तान के साथ निभाया होता जब उन दो नाराज़ लोगों द्वारा किए किसी भी और कैसे भी किए की वजह से एक पूरी विरासत को ,समाज के एक हिस्से को मार काटने की वो हैवानियत इस कांग्रेस ने की थी जिसका सत्य असहनीय है आज भी। हद है कोई पुरस्कार वापसी की फूफा रूठाई कर रहा है तो कोई मेहबूबा मेहबूबा बन कर हथियार उठाई।

रात भर ट्रेंड चला कर अकेले दौड़ते हुए एजंडे तय हो रहे हैं , हाँ तो आज क्या बनना है , नहीं देखो हाथरस में लोगों ने नस नस पहचान ली थी इस बार किसान ठीक रहेगा , 12 घंटे तक इस विधेयक पर संसद पटल में वाद विमर्श हुआ था , यु ट्यूब का ज़माना है सर्च करिये उसी मोबाइल से और पढ़िए देखिये सुनिए और फिर तय करिये की आप जो ये सब कर रहे हैं क्या यही वो समय और यही वो आखरी विकल्प है यही आपदा का समय आपके लिए सर्वथा उपयुक्त था।

ये 22 का संयोग भी कमाल है ,मोदी सरकार के विरोध में 22 दलों के नेता और वो भी सब के सब खुद के हिसाब से प्रधानमन्त्री मोदी जी से थोडा सा ऊपर समझने वाले और यहां भी 22 तरह के किसान ,एक तो अपनी बेल और जेल बाद में रेल ठेल भी , एक सेवादार ,एक वापसी पुरस्कार पता नहीं कौन कौन मार्का, और तुर्रा देखिये जो देश महीनो तक खुद बंद रख कर खुद को बचाए हुए था उसे आप फिर कह रहे हैं ,बंद भारत | बस लोगों ने क्या कहा फिर। …वही जो आप समझ रहे हैं “टन्न होगा बंद भारत “


अभी तो और भी बहुत से एपिसोड आने हैं ऐसे हैं लेकिन वो जो सबसे सामने जाकर बातें करके समस्या को सुलझाने के लिए तत्पर हैं उनके आगे फिर चलती नहीं ऐसी मीडिया वाली लहालोट क्रांति।

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.