केरल में जिस तरीके से बीजेपी ने अपना वोट प्रतिशत बढ़ाया है और वहां पर चुनाव की विजय यात्रा में अपनी दस्तक दी है उसे लेकर वामपंथ का गढ़ टूटना तय माना जा रहा है। पंचायत चुनाव के बाद बीजेपी अब केरल में विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रही है। हैरानी की बात ये है कि बीजेपी ईसाई वोटबैंक और हिन्दू मतों के सहारे केरल विजय की स्टोरी लिखने की फिराक में है। 


दरअसल, केरल की सियासत में धार्मिक वोटबैंक हावी हैं। 30 प्रतिशत मुस्लिम हैं तो 20 प्रतिशत ईसाई हैं, दोनों धर्मों के 50 प्रतिशत वोट बैंक मिलकर राज्य की सियासत का रुख तय करते हैं। केरल में जिस तरह से लव जेेहाद मुद्दा बन रहा है और इसकी चपेट में ईसाई समुदाय की कई लड़कियां भी आई हैं, उससे भाजपा को लगता है कि मेहनत करने पर ईसाई समुदाय का भरोसा हासिल हो सकता है. अगले साल मई 2021 में विधानसभा चुनाव संभावित हैं. पार्टी केरल के प्रदेश नेतृत्व से लगातार राज्य के माहौल की रिपोर्ट लेने में जुटी है।


दरअसल बीते कुछ महीनों में ईसाई समुदाय की कई लड़कियों को मुस्लिम युवकों के द्वारा लव जिहाद केस में फसाया गया और उसी के बाद से ईसाई समुदाय का रोष खुलकर सामने आया और लव जिहाद की इस थ्योरी पर मुहर लगी। अब बीजेपी ईसाई समुदाय के क्रोध को हिंदू ध्रुवीकरण की लाठी के सहारे चलाकर केरल की विजय यात्रा को पूर्ण करना चाहती है। 50 फ़ीसदी के करीब हिंदू समुदाय और बीस फीसदी के करीब यदि वोट मिल जाए तो केरल में बीजेपी की नैया पार लग सकती है इसी सोच को लेकर बीजेपी आलाकमान केरल की लड़ाई को रणनीतिक मोर्चे पर लड़ रहा है।

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