अमेरिका में जिस तरह से जनता ने सीनेट हाउस पर धावा बोला उसे देखते हुए सोचना चाहिए कि यदि यह सब भारत में हुआ होता तो क्या से क्या होता ?यदि भारत में अमेरिका जैसी घटना होती तो एनडीटीवी, वायर, क्विंट, कारवां, न्यूज लान्ड्री, बीबीसी जैसी प्रोपगेन्डा वेबसाइट्स पर खबर होती कि आंदोलनकर्मी के सीने पर पुलिस ने गोली क्यों मारी? मानवाधिकार वाले भी यही सवाल उठा रहे होते। लेकिन आज क्या यह सवाल प्रोपगेन्डा वेबसाइट मानी जाने वाली किसी ‘वेबसाइट’ पर पूछा जा रहा है।

अमेरिका में आंदोलनकर्मी जब कैपिटल हिल पहुंचे तो पुलिस ने अमेरिकी एयर फोर्स की पूर्व हाई लेवल सिक्यूरिटी अधिकारी रही एश्ली बैबिट के सीने पर गोली मार दी। यह प्रश्न किसी प्रोपगेन्डा वेबसाइट पर नजर नहीं आ रहा। लेकिन भारत के संदर्भ में आतंकियों के तमाम एनकाउंटर में गोली कहां लगी, यह इनकी रिपोर्टिंग का मुख्य हिस्सा रहा है।

भारत में अफजल गुरु और बुरहान वाणी की मौत को शहादत का रूप देने वाले और उनके कुकर्मों को जस्टिफाई करने वाले लोग हैं ऐसे में एश्ली बैबिट यदि जिहादी या वामपंथी होती तो इस समय सारी दुनिया में उनकी मौत पर मानवाधिकार को खतरे में बताया जाता। यदि एश्ली बैबिट वामपंथी होती तो इनका वैश्विक प्रोपगेन्डा चैनल एक्टिव हो गया होता और उसे मरने के बाद नोबल नहीं तो कम से कम मैग्सेसे दिलवा कर ही मानता।

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.