शायद ऐसे ही धीरे धीरे असुरों का विष बूँद बूँद टपक कर जब हिमलाय की धवलता को धूमिल और गंगा की निर्मलता को कलुषित और विषाक्त करने लगा तो हो विवश को देवों के देव , आदि देव महादेव ने एक दिन अपना त्रिनेत्र खोल दिया होगा। शिव अगर सृजन हैं तो स्वयं वे संहार भी हैं ,यही स्मरण कराने के लिए शंकर ,भोले भंडारी बन कर सर्वस्व दान कर सकते हैं तो और हलाहल पीकर नीलकंठ बन सकते हैं तो अपनी भृकुटि भर से भस्म ,स्वाहा भी कर सकते हैं।

वेब सीरीज़ के नाम पर उसी स्टैंड अप वाली धूर्तता , उस मकबूल फ़िदा (हुसैन ) की पेंटिंग्स वाली मक्कारी , और जबसे तुम्हारी विषबेल पनपी है न मुगलों , तभी से इस कुत्सित मानसिकता और अपने घिनौने रक्तरंजित जेहाद को अलग अलग जाने कितने ही निकृष्ट रूप रंग में तुमने ईश्वर द्वारा रचित इस धरा , इस पृथ्वी ,सत्य सनातन ,इंसानियत पर थोपने का वही काम किया है जिसके लिए तुम्हारे पूर्वज तुम्हें सिखा समझा गए थे।

माफी का ड्रामा नौटंकी शुरू कर ली , अरे अभी ही , अभी तो सिर्फ एक नोटिस भर भेजा गया है , और कुछ दर्जन भर मुकदमे ही दर्ज़ हुए हैं कि अभी से ही आजादी आजादी याद आने लगी। सिर्फ एक पल को सोच के देखो , यूं ही ,कि यदि सच में ही महादेव के गण बन कर “हर हर महादेव ” की हुँकार , सिर्फ हुँकार भर लगा दें न सब , सौगंध है इस धरा की ,तुम्हारा अस्तित्व ही न विलीन हो जाए तो कहना।

चलो ये न सही , जिस राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को दिन रात कोसते हो , जिस संघी मानसिकता के ताने मारते हो , जिस बजरंग के भक्तों को ललकारते हो , यदि उन्हीं में से कोई राम जी की सेना बन कर ,”एक धक्का और दो ,बाबरी मस्जिद तोड़ दो ” कह दे न। सब यहीं धरा रह जाएगा और फिर बस वही।

इससे चाहिए आजादी उससे चाहिए आजादी , -यही करने के लिए। ताकि अपनी गन्दी ,गलीज़ सोच को कभी सिनेमा , कभी सीरीज़ ,कभी कॉमेडी ,कभी पेंटिंग्स और कभी जेहाद कह कर दुनिया पर इंसानियत पर ज़ाहिर करते रहो। और ये सब किसलिए , क्या पाने के लिए और कैसे पाने के लिए ?? दूसरों को मार काट कर , नीचा दिखा कर , अपमानित करके , डराने की कोशिश करके, सब कुछ नष्ट करके ,बिगाड़ के ,तोड़ फोड़ के ,दंगे फसाद करके है न।

सबसे बड़े (अरे कहते हो न पूरी दुनिया में छप्पन मुल्क हैं तुम्हारे ), खलीफा होने के बावजूद भी मारे मारे फिर रहे हो , किसी को बम बारूद से मार रहे हो तो किसी को अपनी ज़हरीली मानसिकता से। अब कान खोल कर सुन लो हमें नहीं पता , न ही कोई सरोकार है कि इस ज़मी की मिटटी से पैदा होने के बावजूद भी तुम्हारे दूसरे देश हैं ,कितने मुल्क़ हैं लेकिन हमारा ये सिर्फ एक है -हमारा घर ,हमारी धरती ,हमारी विरासत -हमारा भारत ,हमारा हिन्दुस्तान।

अभी तो बहुत कुढ़ना है तुम्हें , ये जो हमने बहुत सालों के बाद , सबने अब जाकर एक अँगड़ाई भर ली है , बस प्रत्यंचा भर चढ़ाई है , भुजाएं फड़काई भर हैं और अपने में से एक नरेंद्र (सुनो मुगलों इसका मतलब होता है नर +इंद्र = नरों में इंद्र यानि मानवों में नृप यानि राजा ) को देश की बागडोर थमा दी है। वो शंखनाद करने के लिए ही , भारत माँ को राज तिलक करने के लिए जो तुम्हें हर क्षण ,हर पल भेद रहा है।

तैयार हो जाओ , अब एक एक क़ानून के विरोध में दुनिया के सामने केंचुली उतार कर नग्न होना पडेगा। दूसरों पर मल उछालने के लिए उसे अपने हाथों में ,अपनी सोच में जो मल लिए घूम रहे हो न अब उन सब हाथों में बेड़ियाँ पड़ने का समय निकट आ रहा है

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