देश में किसी को “जय श्रीराम” के जयकारों से कठिनाई है ,तो किसी ने सत्ता में रहते हुए रामसेतु को ही कपोल कल्पना ,किवदंती ,कथा कहकर और बता कर न्यायालय में शपथ पत्र दाखिल कर इसे प्रमाणित करने का प्रयास किया था । पिछले कई दशकों से राम भक्तों पर और पूरे सनातन समाज को ताने मार मार कर पूछा जाता रहा था कि भगवान श्री राम के जन्म स्थान पर मंदिर कब बनेगा ?कैसे बनेगा ? और उसे कौन बनाएगा ?


पिछले वर्ष अचानक ही माननीय उच्च न्यायालय द्वारा वर्षों से लंबित राम जन्म भूमि विवाद के निस्तारण ने मानो पूरा परिदृश्य ही बदल कर रख दिया ना सिर्फ दशकों से जबरन खड़े किए गए वाद विवाद का निपटारा हुआ बल्कि न्यायालय ने एक न्यास बनाकर विधिवत रूप से यथाशीघ्र राम मंदिर निर्माण का निर्देश भी दे दिया । प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की भाजपा सरकार ने इस दिशा में तेजी से कार्य करते हुए भूमि पूजन शिलान्यास आदि के कार्य को संपन्न करके मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया।


मंदिर निर्माण से जुड़ी संस्थाएं और तमाम लोगों द्वारा मंदिर निर्माण के लिए सबसे सहयोग का सामाजिक सार्वजनिक आह्वान करने का निर्णय लिया गया ।भगवान राम के प्रति पूरे समाज की आस्था राम जन्मभूमि से भावनात्मक लगाव और पूजा त्यौहार धर्मस्थल निर्माण आदि में सामाजिक सहभागिता व सहयोग की चिर कालीन सनातन संस्कृति के अनुरूप यही अपेक्षित भी था ।


किन्तु इन सबके बीच राम द्रोही अपनी तरह-तरह की कुंठा हताशा द्वेष को अपने कथाओं और कृतियों से प्रकट करके अपनी निकृष्ट तक का परिचय भी दे रहे हैं ।समाजवादी पार्टी के एक नेता राम मंदिर निर्माण में सहयोग राशि एकत्र करने वालों पर मुस्लिमों द्वारा पथराव किए जाने की बात कह रहे हैं तो कई कांग्रेसी नेता अपने बयानों से राम और राम मंदिर के प्रति अपनी दुर्भावना जाहिर करते हुए खुद का उछापन भी लोगों को दिखा रहे हैं ।

राजा राम इस देश के हैं और यह देश भगवान राम का है। यह वह शाश्वत सनातन सत्य है जिसे ना कोई इतिहास मिटा सकता है ना ही कोई भविष्य । शेष सारी बातें प्रलाप सब आनी जानी है , जो मनुष्य होकर यह भी नहीं समझ पा रहे हैं वह स्वयं अपने पाप के भागीदार होंगे ।

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