मैने पूर्व में ही यह बात बहुत बार लिखी है की एक पल को कल्पना करिए कि 6 दिसंबर को सैकड़ों रामभक्तों ने यदि बाबर की निशानी को अपने रक्त और देह का बलिदान देकर नहीं ध्वस्त किया होता , तो माननीय अदालत के आदेश के बावजूद भी क्या विधिक रूप से , शांति के बावजूद भी क्या विधिक रूप से शांति से उस बाबरी ढाँचे को गिराया जा सकता था ??

यह प्रश्न और आपके मन में कोई निर्णय आने से पहले यह तथ्य भी जाँच लें कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार अब जबकि राम मंदिर निर्माण के लिए सहयोग /समपर्ण राशि एकत्र करने का अभियान चल रहा है तो राम सेवकों के साथ मारपीट , दुर्व्यवहार और यहां तक उनकी हत्या तक की जा रही है . और ये सब राम के देश में हिंदूवादी सरकार के सामने हो रहा है .

पिछले दिनों एक के बाद एक , जिस तरह से भाजपा , मोदी शाह से द्वेष रखने वालों ने अपना सारा क्रोध , खीज़ , झल्लाहट सरकार व शासन का विरोध करने की आड़ में हिंदुओं पर निकाला और निकाल रआहे हैं उससे स्थिति अधिक चिंताजनक होती जा रही है .

इन उपद्रवियों ,दंगाइयों , आंदोलनजीवियों की हिम्मत इसलिए भी बढ़ रही हैं क्योंकि कांग्रेस , वामदल व अन्य विरोधी दल के राजनीतिज्ञ , वरिष्ठ राजनेता आदि भी लगातार अपनी बयानबाजी , ओछे कथनों से अपने मन में हिंदुओं के प्रति घृणा को सार्वजनिक रूप से सबके सामने रख कर उन्हें उकसा रहे हैं , बढ़ावा दे रहे हैं .

पश्चिम बंगाल और दिल्ली में राम सएवकों की निर्माण हत्या , महाराष्ट्र में राम मंदिर समपर्ण निधि अभियान और प्रभु श्री राम के चित्र वाले पोस्टरों को फाड़ देना , समाजवादी नेता का राम सेवकों पर पत्थर बरसाने का बयान और अब इन मंत्रियों की ओछी सोच और घटिया बयान .


लेकिन राम के प्रति ,विरोधी नकारात्मक सोच रखने वा ले ये तमाम गुट , राजनेता , उपद्रवी कितने ही षड्यंत्र कर ले कितने ही प्रयास कर ले ,ना तो राम भक्त डरने रुकने वाले हैं और ना ही राष्ट्र भक्त । इस धर्म युद्ध में अब एक एक राम भक्त और राष्ट्रभक्त तमाम षड्यंत्र कार्यों की पूरी टोली पर बहुत भारी पड़ने वाला है इसलिए द्रोहियों को अपने लिए अपनी दूषित सोच और ओछे विचारों के के दलदल से बाहर निकलने की चिंता करनी चाहिए

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.