हिंदू समाज की एकता को तोड़ने में संलग्न रहने वाले दिलीप मंडल ने एक बार फिर से सोशल मीडिया पर जहर उगला है। अक्सर अपनी वाहियात टिप्पणियों के लिए जाने वाले दिलीप मंडल अक्सर हिंदू धर्म पर घटिया कमेंट करते हैं और इस बार उन्होंने एक बार फिर से वही दुष्टता की है।


दिलीप मंडल ने इस बार मर्यादा की सारी हदें पार करते हुए फेसबुक पर लिखा है कि ”वो धर्म कितना नीच और घटिया है जो अपने ही धर्म के इंसानों को अपवित्र बताकर उनको सार्वजनिक तालाब और कुओं से पानी पीने से रोकता है। वे कितने महान थे, जिन्होंने सबको पानी पीने का हक दिलाने का आंदोलन किया। 
महाड चवदार तालाब आंदोलन (1927) की सालगिरह पर बाबा साहब को नमन।”


दिलीप मंडल ने धूर्तता का परिचय देते हुए हिंदू धर्म को नीच और घटिया लिखा है जबकि जिस जाति प्रथा का वह जिक्र कर रहे हैं वह देश में बेशक प्रचलित थी और वर्ण व्यवस्था को विकृत करके जिस तरह से जाति व्यवस्था बनी थी उसको लेकर स्वयं हिंदू धर्म के कई लोगों ने उसके खिलाफ मुखर आवाज उठाई थी। चंद लोगों के द्वारा किए गए गलत कृत्य के चलते पूरे हिंदू धर्म को नीच और घटिया कहना दिलीप मंडल की दुष्टता के दुस्साहस को दर्शाता है।  सामाजिक विकृतियों सभी तरह के धर्मों में पाई जाती हैं और जिस बौद्ध धर्म  को बाबासाहेब ने अपनाया था उसमें भी हीनयान महायान जैसे कई मत पहले से मौजूद हैं।


दिलीप मंडल जैसे धूर्त कभी इस विषय पर नहीं लिखते हैं कि किस तरह से इस्लाम में अंसारी, सैफी, कुरेशी जैसी कई जातियां मौजूद हैं और बाबासाहेब अंबेडकर ने इस्लाम धर्म के विषय में क्या लिखा है।

गौरतलब है कि अंबेडकर के जिस महाड आंदोलन का जिक्र दिलीप मंडल ने किया है उस आंदोलन में कई सवर्ण नाम मौजूद थे जो जाति प्रथा के खिलाफ खुलकर काम कर रहे थे। बाल गंगाधर तिलक की बेटे श्रीधर तिलक जाति प्रथा के खिलाफ खुलकर काम कर रहे थे और महाड सत्याग्रह में अम्बेडकर के समर्थक थे,मगर सामाजिक सहिष्णुता और हिंदू एकता की बात बताने में दिलीप मंडल को शर्म आती है।

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