एक समय था जब बीबीसी विश्व सेवा अपनी निष्पक्षता और स्पष्टवादिता के लिए इतनी प्रखर हो गई थी की ख़ुद ब्रितानी सरकार के लिए उससे आँख मिला पाना बहुत मुश्किल हो गया था।  ये वो दौर था जब अमेरिका और ब्रिटेन जैसे बड़े शक्तिशाली देशों ने एक प्लांटेड खबर , कि इराक जैविक हथियारों का परीक्षण निरीक्षण कर रहा है को आधार बना कर उस पर हमला कर दिया था , और ये सच बीबीसी ने ये जानते हुए कि खुद उनका देश भी कटघरे में खड़ा कर दिया जाएगा इस पर न सिर्फ बेबाकी से साड़ी ख़बरें चलाईं बल्कि इसके लिए बीबीसी के तत्कालीन प्रमुख को तो अपने पद से इस्तीफा तक देना पड़ा था।  और ये उन दिनों की बात थी जब पूरी दुनिया में समाचार रेडियो पर सुने जाते थे और बीबीसी की अंतर्राष्ट्रीय सेवा का प्रसारण कई देशों में , उन देशों की भाषाओं में किया जाता था।

समय बदला और बीबीसी भी।  बीबीसी बदलते बदलते इतनी बदल गई कि समाचार , प्रस्तुति , रिपोर्ट और खुद बीबीसी का नज़रिया भी इतना नकारात्मक हो गया कि कोई भी साफ़ समझ सकता था कि अब वो एक पक्षीय और एजेंडे वाली समाचार एजेंसी बन कर रह गई है।

देखिये बीबीसी के ट्विटर हैंडल से लिए गए ये स्क्रीन शॉट और शीर्षक पढ़ कर आप खुद अंदाज़ा लगाएं कि इनके द्वारा समाचारोंके नाम पर क्या और कैसे परोसा जा रहा है ??

देखिये हमास और फिलिस्तीन के चहेतों को हीरो की तरह पेश करने की कोशिश हो या फिर बंगाल के नारदा घोटाले को जानबूझ कर नारदा मामला लिखा।  और ये सब जान बूझ कर लिखा /दिखाया जाता है ताकि एक ख़ास तरह कर नैरेटिव सैट किया जा सके।

अब  इस खबर पर नज़र डालिये और देखिये कितनी चालाकी से यहां उन अपराधियों /आरोपियों को सामजिक कार्यकर्ता बता कर छोड़ने की अपील की जा रही है जो देशद्रोह सहित कई गंभीर अपराधों में जेल की सलाखों के पीछे हैं।  और कोरोना के नाम पर उन्हें मानवीयता दिखाते हुए जेल से छोड़ने की बात की जा रही है

पाकिस्तानियों को खुश करने के लिए किस तरह का एजेंडा चल रहा है वो इस खबर से अनुमान लगाइये।  जो पाकिस्तान भारत के लिए प्रायोजित आतंकवाद से नासूर की तरह न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए सर दर्द बना हुआ है वहाँ से प्यार का सन्देश मिलता सिर्फ बीबीसी को ही दिखाई दे रहा बाकी पूरी दुनिया को मोतियाबिंद हो रखा है

और इसे और अधिक स्पष्ट समझने के लिए सिर्फ इस खबर का प्रस्तुतीकरण , चित्रण और उपयोग की गई तस्वीर से ही सब कुछ स्पष्ट हो जाता है और कोई साधारण सा व्यक्ति भी सब कुछ आसानी से समझ सकता है।  इस खबर के थंबनेल में और अंदर भी जानबूझ कर सिर्फ भाजपा सांसद गौतम गंभीर के चित्रों का इस्तेमाल किया गया है।

अब अंदर की खबर पर भी नज़र डालिये , रेखांकित किए गए शब्दों को देखिये और सोचिए कि कैसे सबको छोड़ कर सिर्फ भाजपा को निशाने पर लेने के लिए मोदी सरकार को असफल , भ्रष्ट बताने के लिए बाकी सबको पार्श्व में रखा गया है।

चलते चलते एक और बात जो शायद अब भी जस की तस है वो है बीबीसी हिंदी सेवा की वेबसाइट पर अश्लील विज्ञापनों की भरमार जिसकी शिकायत लेखक ने खुद ईमेल द्वारा कई बार की है।

इस पोस्ट के लेखक जो बीबीसी हिंदी सेवा के रेडियो सेवा के दो दशकों से अधिक तक एक सर्वकालिक श्रोता रहे हैं और खुद कई बार बीबीसी के स्टूडियो से देश भर के श्रोताओं का प्रतिनिधित्व करते हुए कार्यक्रम प्रसारित कर चुके हैं।  उन दिनों आदरणीय अचला शर्मा जी बीबीसी हिंदी सेवा की प्रमुख हुआ करती थीं।  अफ़सोस है कि आज वो बीबीसी पतन के अपने निम्नतम स्तर पर पहुँच चुकी है।

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