राजधानी दिल्ली की सत्ता पर दूसरी बार काबिज होने के बाद आम आदमी पार्टी को पंजाब में सत्ता का सुख भोगने का मौका मिला. लेकिन जितनी भव्यता और जितने वादों के साथ केजरीवाल की पार्टी पंजाब में राज करने आयी थी मानो उन सपनों को ही ग्रहण लग गया है. क्योंकि यहां तो अभी 5 महीने भी नहीं हुए है और शुरूआत में ही सबकुछ बंटाधार होता दिख रहा है. राज्य में फैली अराजकता किसी से छिपी नहीं है ऐसे में आने वाले 5 सालों में पंजाब कि क्या स्थिति होगी सोच कर ही डर लगता है .

दरअसल आम आदमी पार्टी की सरकार जब से पंजाब की सत्ता में आई है तभी से राज्य में उपद्रव, अराजकता का माहौल बन गया है। मानों पंजाब दोबारा से 80 के दशक में वापस चला गया है. आपको याद होगा कि पंजाब चुनाव से पहले अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के खालिस्तान से गंठजोड़ की बातें भी सामने आ रही थी लेकिन अब ऐसा लग रहा है पंजाब को खालिस्तानियों के हवाले कर दिया गया है. पटियाला में जिस तरह से मां काली मंदिर के बाहर तीन दिन पहले खालिस्तान समर्थकों और एक हिंदू संगठन के सदस्यों के बीच झड़प देखने को मिली। उसके बाद पटियाला में मां काली मंदिर में घुसकर खालिस्तान समर्थकों द्वारा पत्थर फेंके गए और तलवारें लहराई गई। खालिस्तान समर्थकों द्वारा जमकर खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए गए। दिल्ली में तो पहले से ही आम आदमी पार्टी की सरकार में लगातार हिंदुओं पर हमले, हिंदुओं के खिलाफ दंगे हो ही रहे थे और अब आम आदमी पार्टी ने पंजाब में भी अपना घटिया खेल खेलना शुरू कर दिया है.

मीडिया रिपोर्ट की मानें तो पंजाब में अराजकता की जो तस्वीरें पिछले 30 सालों में नहीं दिखी वो आम आदमी पार्टी की सरकार बनते ही मात्र 3 हफ्तों के भीतर दिखने लगी. आपको याद होगा पंजाब विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उन्हीं के साथी रहे कुमार विश्वास ने केजरीवाल की महत्वाकांक्षाओं को लेकर सवाल खड़े किये थे। उन्होंने कहा था कि “कभी केजरीवाल ने कहा था कि वो पंजाब के मुख्यमंत्री बनेंगे या स्वतंत्र पंजाब के पहले पीएम।” लेकिन जिन खालिस्तानियों के साथ आम आदमी पार्टी के गंठजोड़ को लेकर बातें सामने आ रही थी उसपर पटियाला की घटना से जरुर ठप्पा लगा दिया है.

पटियाला मामले पर जिस तरह से आम आदमी पार्टी ने चुप्पी साधी हुई है उसके एक और मायने निकाले जा रहे हैं. दरअसल कुछ दिनों पहले ही केजरीवाल ने भगवंत मान को पंजाब के तमाम विपक्षी नेताओं की सुरक्षा हटाने का निर्देश दिया और उधर नए सीएम साहब भगवंत मान ने सरकार बनते ही सुरक्षा हटाने का निर्देश जारी कर दिया । आपको जान कर हैरानी होगी कि जिन नेताओं की सुरक्षा वापस ली गई है उनमें पूर्व मंत्री से लेकर पूर्व मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों के परिवार की सुरक्षा भी वापस ले ली गई है। पंजाब के पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी और अमरिंदर सिंह के बेटे रनिंदर सिंह के परिवार की भी सुरक्षा छीन ली गई है। पूर्व सांसद और आईपीएल के पूर्व अध्यक्ष राजीव शुक्ला भी प्रमुख नेता हैं जिनकी सुरक्षा हटा ली गई है। वहीं ठीक इसके उल्टे पंजाब के राज्यसभा सांसद के रूप में आधिकारिक तौर पर शपथ लेने से पहले ही दिल्ली के “आप” नेता राघव चड्ढा को पंजाब सरकार भारी-भरकम सुरक्षा से लाद चुकी है। वैसे सोमवार को राघव च़ड्ढा ने राज्यसभा सांसद के रूप में शपथ ले ली.

पंजाब में खालिस्तानियों की मौजूदगी और उनके प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता, ऐसे में अगर पंजाब की हालत ऐसी ही रही तो कल्पना कीजिए आने वाले 5 सालों में आम आदमी पार्टी पंजाब का क्या हाल कर देगी !

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