सत्ता पाने के लिए अपने सिद्धांतों से समझौता करना राजनीति में सबसे ज्यादा शर्मनाक होता है. महाराष्ट्र में मचे सियासी बवाल के बीच महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की वो पंक्तियां याद आ रही है जिसे उन्होंने विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में दिसंबर 2019 में कहा था “कब वापस आऊंगा यह नहीं पता, लेकिन लौटकर जरूर आऊंगा.” उद्धव सरकार को चेतावनी देते हुए फडणवीस ने कहा था, “मेरा पानी उतरा देखकर मेरे किनारे घर मत बसा लेना, मैं समंदर हूं लौटकर वापस जरूर आऊंगा” कहीं न कही उन्हें पहले ही इस बात का अंदाजा लग चुका था कि अपने सिद्धातों और बाल साहेब ठाकरे की सांस्कृतिक विरासत को मटियामेट करने वाली आज की शिवसेना की सियासत के बुरे दिन जल्दी आएंगे.

आज के सियासी हलचल के बीच देवेंद्र फडणवीस एक तुरुप के इक्के की तरह साबित हुए हैं। महाराष्ट्र की राजनीति पूरी तरह से ओह-पोह की स्थिति में है. हर पल समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शिवसेना के बड़े नेता और राज्य सरकार के कद्दावर मंत्री एकनाथ शिंदे रिसॉर्ट पॉलिटिक्स करते हुए 40 विधायकों के साथ असम में डेरा डाल शिवसेना और महाविकास अघाड़ी सरकार के गले की फांस बन चुके हैं। जिसकी वजह से महा विकास अघाड़ी सरकार पर संकट के बादल भी मंडरा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ हाल ही में हुए MLC चुनाव में मिली एक और अप्रत्याशित जीत के बाद यह सिद्ध हो गया है कि भले ही प्रदेश किसी भी पार्टी की सत्ता राज करे लेकिन चुनाव जीताने की कला में एक देवेंद्र फडणवीस ही माहिर हैं.

देखा जाए तो देवेंद्र फडणवीस के राजनीतिक सूझ-बूझ का अंदाज़ा शिवसेना की सभी सहयोगी पार्टियों को था शायद यही वजह थी कि बीजेपी को पीछे करने के चक्कर में इन लोगों ने बालसाहेब ठाकरे की विचारधारा को ही बर्बाद कर दिया . जिसका नतीजा सबके सामने है. इन सभी सियासी पहलुओं के बीच ऐसे में आज रात कर काफी कुछ बड़ा महाराष्ट्र की सियासत में होने की उम्मीद जतायी जा रही है .

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.