यह हम सभी को ज्ञात होना चाहिए की सिख धर्म के संस्थापक गुरुनानक देव जी के जन्म दिन को ही “प्रकाश पर्व” के रूप में मनाया जाता है| हम इसे “गुरु पूरब” भी कहते हैं” इस दिन सिक्ख समुदाय के लोग प्रभात बेला में गुरु कीर्तन और दीप लेकर नगर या गांवों में घूमते हैं और वाहे गुरु का जाप करते हैं| संस्कृति और धर्म के प्रति अटूट आस्था कोई आज की नहीं बल्कि हज़ारो साल पुरानी है जहाँ माँ भारती ने एक से बढ़ कर एक बढ़कर महापुरुषों और वीर सपूतों को जन्म दिया है जिनमे से एक महापुरुष और महान संत “श्री गुरुनक देव” जी हैं जिनकी जयंती हम आज “३० नवंबर २०२०” को मना रहे हैं|

पहले ये जानें की “श्री गुरुनानक देव जी” कौन थे ?

जन्म तारीख – १४/१५ अप्रैल १४६९ (विद्वानों में भिन्नता है)

हमारी संस्कृति और धर्म के प्रति अटूट आस्था कोई आज की नहीं बल्कि कई हज़ारो साल पुरानी है और माँ भारती ने एक से बढ़ कर एक सपूतों और महापुरुषों को जन्म दिया जिसमें की एक महापुरुष जिन्होंने “सिक्ख धर्म” की स्थापना की|

इस शुभ तिथि को “प्रकाश पर्व” के नाम से भी जाना जाता हैं| इसे पूरे भारतवर्ष में हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं| बल्कि यूँ कहें की पूरे विश्व में जहाँ कहीं भी हमारे सिक्ख भाई-बंधू हैं वहां भी उतनी ही पवित्रता, उल्लास और उत्साह के साथ सिक्खों के प्रथम गुरु श्री गुरुनानक देव जी की जयंती मनाते हैं| आज के इस पावन अवसर पर अपने ईश्वरतुल्य “श्री गुरुनानक देव जी” के जीवनी के बारे में पुनः समझने का प्रयास करें और उनके द्वारा बताये गए उसूलों / सिद्धांतों को अपने जीवन में उतारने की कोशिश करें|

बाहुल्य मत ये है की गुरुनानक जी का जन्म “कार्तिक पूर्णिमा” के दिन खत्री कुल में हुआ था और पूरे विश्व में इसी दिन इनकी जयंती मनाई जाती है| इनका जन्म स्थान “रावी नदी” के तट पर स्थित ग्राम “तलवंडी: जिसे ननकाना साहिब (वर्तमान में पाकिस्तान में) के नाम से भी जाना जाता है| इनके पिता का नाम श्री कल्यानचंद मेहता / कालू जी और माता जी का नाम श्रीमती तृप्ता देवी था| इनकी बहन का नाम ‘बीबी ननकी’ था |

इनकी शादी सोलह वर्ष की आयु में गुरुदास पुर ज़िले के ‘लाखौकी’ ग्राम के रहने वाले मूला की कन्या ”माता सुलक्खनी” के साथ हुआ था| ३२ वर्ष की आयु में एक पुत्र श्री चंद की प्राप्ति हुई| ४ वर्ष पश्चात दुसरे पुत्र श्री लखिमदास का जन्म हुआ|गुरुनानक जी को कई और नाम से भी जाना जाता हैं जैसे…नानक , नानक देव, बाबा नानक और नानकशाह |

उनके द्वारा दिए गए जीवन जीने की कला और सामाजिक समरसता के महत्वपूर्ण पहलू क्या हैं?

गुरुनानक जी ने (१५०७ ई०) में अपने चार साथियों जिनका नाम मरदाना (मुस्लिम) , लहना , बाला और रामदास को लेकर तीर्थ यात्रा पर भारत , अफ़ग़ानिस्तान , फारस और अरब देशों की मुख्य स्थानों का भ्रमण किया और समाज की विसंगतियों जैसे जाती प्रथा, धर्म , मूर्ती पूजा, ईश्वर और अल्लाह में फ़र्क़ इत्यादि को लेकर अपने आलोकिक शक्ति, ईश्वर/मालिक की उपस्तिथि, अपनी प्रवाह किये बिना दूसरों की भलाई, शुद्ध कमाई और सच्चे कर्म और केवल नाम जपने की शक्ति को समझाया| उन्होंने सबको एक साथ रहने और दूसरों की इज्जत करने की भावनाओ पर बल दिया|

वो अत्यंत प्रतिभाशाली और चमत्कारिक ईश्वरीय गुणों वाले महापुरुष थे| उनकी बातों और उपदेशों से लोग उन्हें एक भगवान् रूप में देखते थे और आज भी उन्हें एक ईश्वर के रूप में देखा जाता है| वे दिखावे / भेद करने वालों से सख्त रहने की बात कहते थे| उन्हें इस तरह की बातें कत्तई स्वीकार नहीं थी|

उन्होंने कहा की ईश्वर की प्रार्थना और उसकी भक्ति परिवार / गृहस्त अवस्था में रहते हुए भी की जा सकती है और भगवत प्राप्ति / निरंकार ब्रह्म को आत्मसात किया जा सकता है| अगर हम सत्य की राह पर चलें , अपने से कमजोर / निर्धन व्यक्ति की सेवा करें, अपने कर्म करके धनोपार्जन करें जिसमे व्यर्थ की कमाई शामिल न हो और एक नाम जपते रहे उन्होंने बताया सब एक हैं और सभी धर्मों की एक ही philosophy है| ईश्वर को बताया “निरंकार”, “निर्भय” और “निर्वैर” और सभी मनुष्यों में विद्यमान है एक “आत्मा” के रूप में जो सबका भला करता है| उस भगवान् को पाने के लिए केवल भक्ति करने , सबका भला करने और अच्छे कर्म करते हुए उनको मिला जा सकता है|

मैं ये बातें कोई नयी नहीं बता रहा , ये तो हम सबों ने शायद कभी न कभी पढ़ा ही होगा मगर आज के सन्दर्भ में उनके द्वारा दिए गए वचनों और वाणी के जरिये एक सुखद जिंदगी की कामना कर सकते हैं और समाज में बढ़ रहे कुत्सित विचारों और आपसी द्वेषों को दूर कर सकते हैं|

आज उसका उलट हो रहा हैं पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में आखिर क्यों?

पर आज के सन्दर्भ में ये तो समाजिक समरसता लाने के बजाये कुछ समाज विरोधी तत्व और आराजक शक्तियां उनके द्वारा दिए गए उपदेशों और कार्यों के विरुद्ध देश और समाज को एक विध्वंसक परिस्थिति में डाल रहे हैं|

विगत २-३ दिनों से किसान बिल के नाम पर जो हंगामा और कुत्सित राजनीति की जा रही हैं देश के अन्दर बैठे गद्दारों के द्वारा वह किसी भी तरह से न्यायोचित नहीं लगता| कुछ सिक्ख और मुस्लिम समुदाय के लोग जिन्हे वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं वो सरकार के द्वारा लाये गए “किसान बिल” का गलत फायदा उठाकर देश में एक विस्फोटक इस्थ्ती उत्पन्न कर रहे हैं|

इसमें उनका साथ “खालिस्तानी कट्टर पंथी”, “वाम पंथी” और “सूडो सेकुलर्स” जैसी विचारधारा के लोगों का मिल रहा हैं जो एक शान्ति पूर्ण आंदोलन के नाम पर देश को पुनः एक विष्फोटक इस्थिति में डाल रहे हैं| असल में जो “अन्नदाता” हैं उसकी भावनाओं को भड़काने का पूरा प्रयास किया जा रहा हैं| इसमें वो सारे विपक्षी दाल भी आग में घी डालने का काम कर रहे हैं जिन्होंने आज तक केवल “किसानों” का कोई भला नहीं किया बल्कि उनको उनके हक़ से दूर रक्खा| 

जिस पार्टी ने इस देश में सबसे अधिक काल खंड तक शासन किया वो आज तक “किसानों” तो उनका उचित हक़ नहीं दिला पायी और केवल उनका शोषण किया| किसानों को “बिचौलिये” के माध्यम से उनके अधिकारों को दबाये रक्खा और आज जब एक सक्षम सरकार ने किसानों के हितों की बात की और उनके लिए फायदे की बात करके एक सार्थक “किसान बिल” लेके आयी तो वही विध्वंशक विचार धारा वाले लोगों ने किसानो के हितैषी होने का मुखौटा लेकर एक षड़यंत्र करने का एक कुत्सित प्रयास किया हैं जो कभी भी सफल नहीं हो सकता और न इस देश की जनता करने देगी|

जो इसे देश की ताकत और सक्षमता को तोड़ने की कोशिश करेंगे उनको उनकी ही भाषा में जवाब मिलेगा और यहाँ का क़ानून और प्रशासन उनको उनकी किसी भी देश द्रोही नियत को हमेशा असफल करेगा|

किसान बिल में खामियां निकालना और इसको समर्थन न करना इनका उद्देश्य नहीं हैं बल्कि इनको देश में एक “अराजकता” का माहौल बनाना हैं ताकि इनलोगों की राजनीतिक रोटियां सेंकी जा सके!

आइये आज के दिन हम सब मिलकर ऐसे देश विरोधी ताकतों को पहचाने और इनका पूर्ण रूप से बहिष्कार करें अन्यथा ये इस देश और समाज को खोखला करते रहेंगे जो की कतई स्वीकार्य नहीं होगा !

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