बाला साहब ठाकरे जिन्हें कभी सनातनियों और राष्ट्रवादियों ने देश और हिन्दू धर्म के प्रति उनकी निष्ठा और समर्पण के कारण “हिन्दू ह्रदय सम्राट ” की लोकप्रिय उपाधि दे दी थी और जिन्होंने महाराजा शिवाजी के नाम पर खडी की गई पार्टी शिव सेना भी उन दिनों सनातन धर्म प्रहरी का प्रतीक बन गई थी।

किन्तु सत्ता और पद को पाते ही , विरासत में मिली शिवसेना , मराठा गौरव , सनातन और हिन्दू धर्म के प्रति उनके पुत्र उद्धव ठाकरे का व्यवहार इतना दोयम दर्ज़े का और उपेक्षा से भरा हो गया है कि जिसकी कल्पना भी दुष्कर लगती है।

राज्य में लगातार हो रही साधु संतों की निर्मम ह्त्या , बर्बाद होता हुआ हिंदी सिनेमा , पत्रकारों पर हो रहे अत्याचार और इन सबके बीच शिवसेना का अजान और मुगलों के साथ बढ़ता प्रेम। कुल मिला कर कांग्रेस ने शिवसेना को उसके भगवा रंग और संस्कार से पूरी तरह अलग करके अपनी ही तरह छद्म धर्मनिरपेक्षवादी शक्ल दे दी है।

यही वजह है कि अब महाराष्ट्र सरकार की महाराष्ट्र पुलिस ने नासिक से “मराठा रैली ” के लिए जा रही और विशेष रूप से “शिवाजी महाराज और राजमाता जीजाबाई ” के जयकारे लिखे , भगवा ध्वज से सजाए गए बसों पर से जबरन इन ध्वजों को उतरवा दिया गया।

यह माना जा रहा है कि अभी कुछ दिनों पूर्व ही नेता प्रतिपक्ष के इस बयान कि , अगली नगरपालिका चुनाव में सिर्फ निगम भगवामय हो जाएगा से चिढ कर ये कार्रवाई की गई है मगर सत्ता की इस हनक में खुद शिव सेना ये भूल गई कि उन ध्वजों पर शिवाजी महाराज और माता जीजाबाई की जय भी लिखा हुआ था।

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