पश्चिम बंगाल में कमल खिलाने के लिए बीजेपी ने बंगाली अस्मिता को पुनर्जीवित करने की रणनीति बनाई है। बीजेपी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक बीजेपी बंगाल के महापुरुषों के ओरिजिनल कलेवर को जनता के सामने अपना चुनावी मुद्दा बनाकर पेश कर रही है। पश्चिम बंगाल के महापुरुषों के साथ हुए भेदभाव का मुद्दा हमेशा मुखर करने वाली बीजेपी (BJP) बंगाल चुनाव में बंगाली महापुरुषों की बात कर बंगाली अस्मिता से खुद को जोड़ रही है जिसका फायदा विधान सभा चुनावों में होने जा रहा है।

इसी बानगी में 24 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेवीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शांतिनिकेतन में विश्व भारती यूनिवर्सिटी के शताब्दी समारोह को सम्बोधित किया था।

इससे पहले बंगाल दौरे पर गृह मंत्री अमित शाह ने बंगाल की भूमि में जन्मे महापुरुषों को नमन किया था। बंगाल चुनाव में बीजेपी की रणनीति यही है कि वो ये साबित करने की कोशिश करेगी कि बंगाल के महापुरुषों को तृणमूल कांग्रेस की सरकार में उचित सम्मान नहीं मिला. BJP का आरोप है ममता बनर्जी 2011 में सत्ता में आईं, लेकिन बंगाली और बाहरी का भेद बढ़ाने वाली नेता ने बंगाली पहचानों को ही नजरअंदाज कर दिया।यही वजह है कि अमित शाह के दौरे पर खुदीराम बोस के परिवार ने कहा कि उन्हें पहली बार किसी पार्टी ने सम्मान दिया है।

अमित शाह जब 19 और 20 दिसंबर को दो दिवसीय पश्चिम बंगाल दौरे पर पहुंचे थे तो वह शांति निकेतन जाने से पहले स्वामी विवेकानंद को श्रद्धांजलि देने के लिए रामकृषण मिशन भी गए। रामकृष्ण मिशन और स्वामी विवेकानंद के विचारों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाता जगजाहिर है….इसके बाद शाह महान स्वतंत्रता सेनानी अमर शहीद खुदीराम बोस के मेमोरियल भी गए। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी रामकृष्ण मिशन का दौरा कर चुके हैं।

जाहिर है बंगाली महापुरुषों के विचारों उनकी नीतियों उनके दर्शन में सदैव धर्म औऱ राष्ट्र अग्रणी रहा है, बरसों बंगाल में शासन कर चुके कम्युनिस्ट और ममता बनर्जी ने मिलकर राष्ट्र औऱ धर्म के इन अग्रदूतों को हमेशा तिरस्कृत किया है इसलिए बीजेपी के लिए रणनीतिक तौर पर ये मौका महत्वपूर्ण है। 

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